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JNU Sedition Case: कन्हैया कुमार समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ 19 जनवरी को होगी सुनवाई

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नेताओं कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य और सात कश्मीरी छात्रों के खिलाफ देशद्रोह के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा फाइल की गई चार्जशीट पह होने वाली मंगलवार की सुनवाई 18 जनवरी तक के लिए टाल दी गई है.

Updated on: 15 Jan 2019, 12:30 PM

नई दिल्ली:

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नेताओं कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य और सात कश्मीरी छात्रों के खिलाफ देशद्रोह के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा फाइल की गई चार्जशीट पह होने वाली मंगलवार की सुनवाई 18 जनवरी तक के लिए टाल दी गई है. बताया गया है कि इस मामले में सुनवाई करने वाले जज आज अवकाश पर हैं इसलिए अब सुनवाई 19 जनवरी को होगी. कन्हैया, उमर और अनिर्बान को तीन साल पहले फरवरी 2016 में 'राष्ट्र विरोधी' नारे लगाने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

बता दें कि सोमवार को दिल्ली पुलिस ने जेएनयू के छात्र नेताओं कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य और सात कश्मीरी छात्रों के खिलाफ देशद्रोह के एक मामले में सोमवार को महानगर दंडाधिकारी सुमित आनंद के समक्ष आरोप-पत्र दाखिल किया था. पुलिस ने आरोप-पत्र में जानबूझ कर चोट पहुंचाना, जालसाजी, फर्जी दस्तावेज का उपयोग करना, गैरकानूनी रूप से इकट्ठे होना, दंगा और आपराधिक षड्यंत्र रचने से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं.

दोनों नेताओं -कन्हैया कुमार और खालिद- ने लोकसभा चुनाव से पहले आरोप-पत्र दाखिल करने पर सवाल करते हुए कहा कि पुलिस कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है और नरेंद्र मोदी की बीजेपी सरकार द्वारा ध्यान भटकाने के लिए रची गई साजिश है.

यह मामला संसद भवन हमले के मुख्य साजिशकर्ता अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरुद्ध जेएनयू परिसर में फरवरी 2016 को आयोजित कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगाए जाने से जुड़ा है.

आरोप-पत्र में कन्हैया कुमार के अलावा जेएनयूएसयू की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी. राजा की बेटी अपराजिता के नाम भी शामिल हैं, लेकिन वे आरोपी के रूप में नहीं हैं.

राशिद और अपराजिता समेत 36 अन्य लोगों पर भी विवादित कार्यक्रम में शामिल होने के आरोप हैं, लेकिन पुलिस को उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले.

कुमार, खालिद और भट्टाचार्य के साथ-साथ जम्मू एवं कश्मीर के सात छात्र -आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रइया रसूल, बशीर भट और बशरत पर भी देशद्रोह, गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने और आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप हैं.

पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत होने का दावा किया है.

पुलिस ने गवाह के तौर पर जेएनयू कर्मियों और सुरक्षा कर्मियों समेत लगभग 90 लोगों की सूची बनाई है. आरोप-पत्र में सीसीटीवी और मोबाइल फूटेज को भी शामिल किया गया है.

कन्हैया कुमार ने कहा कि अपनी सभी असफलताओं से सबका ध्यान भटकाने के लिए मोदी सरकार ने यह साजिश रची है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मुझे अदालत से कोई समन या सूचना नहीं मिली है. लेकिन, अगर यह सच है तो हम पुलिस और मोदी का आभार प्रकट करते हैं कि आखिरकार तीन साल बाद, जब उनका और उनकी सरकार के जाने का समय आ गया है, तब आरोप-पत्र दाखिल कर दिया गया. लेकिन, इसमें उल्लेखनीय आरोप-पत्र दाखिल करने का समय है..लोकसभा चुनाव से ठीक पहले."

उन्होंने कहा, "यह सबूत है कि इसके पीछे राजनीतिक उद्देश्य है. उद्देश्य यह है कि हर मोर्चे पर असफल मोदी सरकार अपना एक भी वादा पूरा नहीं कर पाई है, इसलिए वह ध्यान बांटने के लिए अपने सारे पत्ते खेल रही है."

घटना के तीन साल बाद आरोप-पत्र दाखिल करने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि 'मोदी सरकार अपने सभी वादों की तरह इस मामले में भी गंभीर नहीं थी और अब इस मुद्दे का राजनीतिक उपयोग कर रही है.

शहला राशिद ने भी मोदी सरकार पर इस मामले का राजनीतिक उपयोग करने का आरोप लगाया.

उन्होंने 'बेचैनमोदी' हैशटैग के साथ ट्वीट किया, "मोदी सरकार ने इस कृत्रिम विवाद का उपयोग किश्तों में किया है. अगली किश्त 2019 के आम चुनाव के नामांकन के दिन होगी."