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जेएनयू का डीएनए ही भारत विरोधी, संघ विचारक गुरुमूर्ति ने कहा इसे बंद कर दो

'जेएनयू के गठन की पृष्ठभूमि ही भारत विरोधी है. इसका गठन ही भारत की परंपराओं, आध्यात्मिकता और मूल्यों समेत पूर्वजों का विरोध करने के लिए किया गया.'

Updated on: 15 Jan 2020, 03:56 PM

highlights

  • संघ के विचारक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति का आरोप JNU का डीएनए ही देश विरोधी.
  • जेएनयू को पूरी तरह से बदल दिया जाए या फिर इसे बंद ही कर दिया जाए.
  • फिलवक्त भी नागरिकता कानून के हिंसक विरोध को लेकर जेएनयू विवादों में है.

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति (waminathan Gurumurthy ) का आरोप है कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) का डीएनए (DNA) ही देश विरोधी है. इसके साथ ही उन्होंने मशविरा देते हुए कहा कि जेएनयू को पूरी तरह से बदल दिया जाए या फिर इसे बंद ही कर दिया जाए. स्वामीनाथन ने जेएनयू को लेकर यह बात तमिल पत्रिका 'तुगलक' (TuglaQ) के 50वें स्थापना दिवस पर समारोह पर कही. गौरतलब है कि कांग्रेस शासन में शुरू जेएनयू मोदी सरकार (Modi Government) के केंद्रीय सत्ता में आने के बाद से लगातार गलत कारणों को लेकर विवादों से घिरी रही है. फिलवक्त भी नागरिकता कानून के हिंसक विरोध को लेकर जेएनयू विवादों में है.

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इंदिरा गांधी को वाम दलों के समर्थन की उपज है जेएनयू
ऐसे में चेन्नई में 'तुगलक' पत्रिका के 50वें स्थापना दिवस समारोह में स्वामीनाथन ने कहा, 'जेएनयू के गठन की पृष्ठभूमि ही भारत विरोधी है. इसका गठन ही भारत की परंपराओं, आध्यात्मिकता और मूल्यों समेत पूर्वजों का विरोध करने के लिए किया गया. 1969 में जब कांग्रेस का विभाजन हुआ तो वाम दलों ने इंदिरा गांधी का समर्थन किया था. इसके बदले में उन्होंने बस एक शर्त रखी थी. उन्होंने कहा था कि जो चाहो वह मांग लो, बस शिक्षा विभाग हमें दे दो. इसके आगे इंदिरा गांधी झुक गई थीं.'

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जेएनयू सुधरी नहीं तो बंद कर दें
उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद नूर हसन शिक्षा मंत्री बने. जेएनयू के गठन के पीछे का पूरा दिमाग नूर हसन का ही था. उन्होंने कहा कि सिर्फ आज ही जेएनयू सरकार और देश विरोधी रवैये पर नहीं अड़ी हुई है. 1982 में भी ऐसा ही हुआ था. स्वामीनाथन ने कहा, '1982 आते-आते जेएनयू कांग्रेस विरोधी हो गई. यह वह दौर था जब पुलिस को जेएनयू के भीतर प्रवेश कर विद्यार्थियों पर बलप्रयोग करना पड़ा था. तब 43 दिनों तक यूनिवर्सिटी को बंद रखना पड़ा था. ऐसे में देश और सरकार विरोधी रवैया जेएनयू ने पहली बार नहीं अपनाया है. जेएनयू का तो डीएनए ही देश विरोधी है. जेएनयू वह संस्था है, जिसमें सुधार लाना होगा. अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो इसे बंद ही कर देना चाहिए.'