logo-image

JNU में फिर गूंजे विरोध के स्वर, लोगों ने की अनुच्छेद 370 को वापस लेेने की मांग

बताया जा रहा है कि लाल सलाम का नारा लगाने वाले इन लोगों ने खुद को हिंदुस्तानी बताने से भी इनकार कर दिया

Updated on: 06 Aug 2019, 09:20 AM

नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के साथ ही जेएनयू में एक बार फिर इसके विरोध में आवाज उठी. सोमवार को देर रात जेएनयू कैंपस में लोगों ने आजादी-आजादी के नारे लगाए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ लोगों ने अंधेरे में नारेबाजी की और अनुच्छेद 370 को वापस लेने की मांग भी की. बताया जा रहा है कि लोगों ने नारेबाजी के साथ-साथ जिस भाषा का इस्तेमाल किया, वो बेहद आपत्तिजनक थी.

बताया जा रहा है कि लाल सलाम का नारा लगाने वाले इन लोगों ने खुद को हिंदुस्तानी बताने से भी इनकार कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने सेना को लेकर भी अपशब्दों का इस्तेमाल किया. हालांकि कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां मोदी सरकार के इस फैसले का खुले दिल से स्वागत किया गया और जमकर जश्न मनाया गया. कुछ ऐसी ही खबर जम्मू यनिवर्सिटी से भी सामने आई जहां छात्रों ने जमकर जश्न मनाया.

यह भी पढ़ें: सभी पक्ष LOC पर बनाए रखें शांति, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद बोला अमेरिका

बता दें, इससे पहले जेएनयू 2016 में चर्चा में आया था. बताया गया था जेएनयू परिसर में देशविरोधी नारे लगाए गए थे. इसके साथ ही कन्हैया कुमार समेत अन्य छात्र नेताओं पर जेएनयू परिसर में संसद हमले का दोषी अफजल गुरू को फांसी पर लटकाए जाने के विरोध में कार्यक्रम आयोजित करने का आरोप था.

यह भी पढ़ें: Article 370 खत्म होने का जश्न मना रहा था युवक, पुलिस ने किया गिरफ्तार

अनुच्छेद 370 के हटने से ये होंगे घाटी में बदलाव

- इसके तहत जम्मू-कश्मीर को संविधान के तहत मिले विशेषाधिकार खत्म हो गए.
- अब वहां न सिर्फ एक तिरंगा फहराएगा, बल्कि जम्मू-कश्मीर शेष देश के साथ मुख्यधारा में चल सकेगा.
- अब केंद्र उन मामलों में भी दखल दे सकेगा, जो संविधान के तहत मिले विशेष प्रावधानों के कारण अभी तक उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर थे.
- इसका असर निश्चित तौर पर आतंकवाद के सफाये पर पड़ेगा.
- पाक परस्त नेताओं पर लगाम कसने में इससे मदद मिलेगी.
- आतंकवाद के चलते राज्य से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों की वापसी भी सुनिश्चित हो सकेगी.
- बीजेपी ने इस तरह से उस ऐतिहासिक गलती को सुधारने का काम किया है, जिसने राज्य को दो परिवारों की बपौती बना रखा था. अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार धारा 370 के प्रावधानों का इस्तेमाल अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए करते आए थे.