कश्मीर में हिंसा के पीछे पाकिस्तान का हाथ, पत्थरबाजों को कर रहा कैशलेस फंडिंग
हिंसा भड़काने और अशांति बनाए रखने वालों के लिए सरहद पार से सदियों पुराने तरीके से फंडिंग हो रही है।
highlights
- सदियों पुराने तरीके से हो रही है फंडिंग
- अलगावादियों तक पहुंचते हैं लाखों रुपए
- पत्थरबाजी के लिए की जाती है मदद
नई दिल्ली:
जम्मू और कश्मीर में हिंसा की वारदातें लगातार बढ़ रही हैं। इन वारदातों के पीछे हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है, हिंसा भड़काने और अशांति बनाए रखने वालों के लिए सरहद पार से सदियों पुराने तरीके से फंडिंग हो रही है। ये चौंकाने वाला खुलासा एक न्यूज चैनल वेबसाइट ने किया है।
एबीपी न्यूज के मुताबिक खूफिया सूत्रों से पता चला है कि घाटी में पत्थरबाजों की फंडिंग की जांच एनआईए कर रही है। ऐसे में एनआईए को पता चला कि पाकिस्तान में बैठे आतंक को बढ़ावा देने वालों ने एजेंसी को धोखा देने के लिए एक नई तरकीब निकाली है।
ये लोग पत्थरबाजों को बढ़ावा देने के लिए कैशलेस फंडिंग कर रहे हैं। लेकिन इस फंडिंग का तरीका बैंकिंग ना होकर सदियों पुराने बार्टर सिस्टम यानी वस्तु विनिमय प्रणाली के जरिए हो रहा है। 2008 में इस बार्टर सिस्टम के जरिए 21 सामानों का व्यापार कश्मीर घाटी से पीओके से होता है।
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ये सामान ऊरी से मुजफ्फराबाद और पुंछ से पीओके में रावलकोट तक भेजा जाता है। ये व्यापार कश्मीर के दोनों हिस्सों के लोगों को लाभ देने के लिए शुरू किया गया था। अब इन दोनों देशों के बीच इस व्यापार का यूज पत्थरबाजों को फंडिंग के लिए हो रहा है।
इस व्यापार में ओवर इंवॉसिंग और अंडर इंवॉयसिंग के जरिए पैसा एक जगह से दूसरी जगह करने का मामला सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक इस तरीके से अलगाववादियों को अबतक 75 करोड़ की फंडिंग की जा चुकी है। जिसमें इस साल में ही यह आंकड़ा 10 करोड़ तक पहुंचा है।
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इसे इस तरह से समझा जा सकता है, मान लें भारत से पीओके किसी ट्रक में 5 लाख का सामान श्रीनगर से मुजफ्फराबाद की तरफ गया, लेकिन सामान वास्तविकता में सिर्फ 2 लाख का था, अब पाकिस्तान की तरफ से लौटते वक्त उसी ट्रक में 7 लाख का समान अंडर इंवॉयसिंग कर वापस सिर्फ 5 लाख का सामान बताया जाता है। इसके लिए आईएसआई के फंड मैनेजर भी तैनात होते हैं।
इस व्यापार में जाने वाले समान में बचे 3 लाख और आने वाले सामान में बचे 2 लाख रुपए ट्रेडिंग कंपनी और अलगाववादियों के बीच बंटता है। कुल 5 लाख रुपए में से बड़ा हिस्सा अलगाववादियों को मिलता है। इसके बाद ये रकम पत्थरबाजों के बीच बांट दी जाती है।
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इस तरह से किए गए लेन देन के घपले सामने आने पर एनआईए ऐसी ट्रेडिंग कंपनियों से पूछताछ कर रही है, साथ ही उन लोगों से भी पूछताछ की जा रही है जिन लोगों के खाते में ऑनलाइन बड़ी रकम ट्रांसफर की गई है।
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