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राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित हुआ जलियांवाला बाग संशोधन विधेयक, जानें क्या है ये बिल

संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने विधेयक पेश करते हुए कहा, 'जलियांवाला बाग जनसंहार के 100 साल बाद दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हर किसी को इस पर सहमति जतानी चाहिए और इसे पारित करना चाहिए.'

Updated on: 20 Nov 2019, 07:00 AM

नई दिल्ली:

जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक विधेयक, 2019 मंगलवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया. कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी इसमें भागीदारी की. राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम, 1951 के तहत प्रावधान था कि इसके न्यासी कांग्रेस प्रमुख होंगे. प्रावधान के अनुसार, केंद्र सरकार इस न्यास के लिए तीन न्यासियों को पांच साल के लिए मनोनीत करती है.

केंद्र सरकार अब न्यासियों को बिना किसी कारण कार्यकाल पूरा होने से पहले हटा सकती है. संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने विधेयक पेश करते हुए कहा, 'जलियांवाला बाग जनसंहार के 100 साल बाद दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हर किसी को इस पर सहमति जतानी चाहिए और इसे पारित करना चाहिए.' इस विधेयक को लोकसभा 2 अगस्त को पारित कर चुकी है.

संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया है. इस सत्र में सरकार कई अहम बिल पेश करेगी, जिसमें नागरिकता (संशोधन) विधयेक 2019 भी होगा. ये बिल सरकार के मुख्य एजेंडा में शामिल है, जिस प्रकार मानसून सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को प्रमुखता दी थी. राज्यसभा के 250वें सत्र पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सांसदों को संबोधित किया था.

पीएम मोदी ने कहा था कि राज्य सभा के 250वें सत्र के दौरान मैं यहां उपस्थित सभी सांसदों को बधाई देता हूं. 250 सत्रों की ये जो यात्रा चली है, उसमें जिन-जिन सांसदों ने योगदान दिया है वो सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं. मैं उनका आदरपूर्वक स्मरण करता हूं. 250 सत्र ये अपने आप में समय व्यतीत हुआ ऐसा नहीं है. एक विचार यात्रा रही. समय बदलता गया, परिस्थितियां बदलती गईं और इस सदन ने बदली हुई परिस्थितियों को आत्मसात करते हुए अपने को ढालने का प्रयास किया. सदन के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि सदन संवाद के लिए होना चाहिए. भारी बहस हो, लेकिन रुकावटों के बजाय संवाद का रास्ता चुनें. एनसीपी और बीजेडी ने तय किया है कि वे वेल में नहीं जाएंगे. लेकिन फिर भी न एनसीपी न बीजेडी की राजनीतिक यात्रा में कोई रुकावट आई है. उच्च परंपरा जिसने बनाई उनका कोई राजनीतिक नुकसान नहीं हुआ. उनसे हमें सीखना चाहिए. इसकी चर्चा भी होनी चाहिए और उनका धन्यवाद देना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि अनुभव कहता है संविधान निर्माताओं ने जो व्यवस्था दी वो कितनी उपयुक्त रही है. कितना अच्छा योगदान इसने दिया है. जहां निचला सदन जमीन से जुड़ा है, तो उच्च सदन दूर तक देख सकता है. भारत की विकास यात्रा में निचले सदन से जमीन से जुड़ी चीजों का प्रतिबिंब झलकता है, तो उच्च सदन से दूर दृष्टि का अनुभव होता है.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि इस सदन के दो पहलू खास हैं- स्थायित्व और विविधता. स्थायित्व इसलिए महत्वपूर्ण है कि लोकसभा तो भंग होती रहती है, लेकिन राज्यसभा कभी भंग नहीं होती. और विविधता इसलिए महत्वपूर्ण है कि क्योंकि यहां राज्यों का प्रतिनिधित्व प्राथमिकता है.राज्यसभा के 250 सत्र पर काफी चर्चा हुई है. इसमें योगदान देने वाले लोगों को अभिनंदन. इस सदन ने इतिहास बनाया भी और देखा भी. 250वें सत्र में शामिल होना मेरे लिए काफी अहम है.