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इशरत जहां का आरोप, कट्टरपंथी जानबूझ कर बना रहे निशाना, ममता सरकार है खामोश

इशरत जहां का कहना है कि तीन तलाक पर आवाज उठाने के कारण ही उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. राज्य सरकार भी इसीलिए उनके मामले में चुप्पी साधे बैठी है कि कुछ बोलने पर मु्स्लिम वोट बैंक नाराज हो जाएगा.

Updated on: 19 Jul 2019, 02:58 PM

highlights

  • इशरत जहां का सनसनीखेज आरोप, तीन तलाक की याचिकाकर्ता होने से निशाना बनाया जा रहा.
  • राज्य सरकार पर सधे शब्दों में निशाना साध राजनीति करने के लिए कठघरे में खड़ा किया.
  • हनुमान चालीसा बांटने पर कट्टरपंथी फतवे के साथ-साथ जान से मारने की दे रहे धमकी.

नई दिल्ली.:

हिंदुओं के एक धार्मिक कार्यक्रम में हनुमान चालीसा वितरित कर विवादों के केंद्र में आई पश्चिम बंगाल की मुस्लिम महिला इशरत जहां पर अब कट्टरपंथी भी हावी हो रहे हैं. उन्हें न सिर्फ जान से मारने की धमकी दी गई है, बल्कि कथित तौर पर हावड़ा स्थित घर से भी निकालने के प्रयास हो रहे हैं. हालांकि इससे बेपरवाह इशरत जहां इसे राजनीति बताते हुए ममता बनर्जी सरकार पर परोक्ष निशाना साध रही हैं. उनका दो टूक कहना है तीन तलाक पर आवाज उठाने के कारण ही उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. राज्य सरकार भी इसीलिए उनके मामले में चुप्पी साधे बैठी है कि कुछ बोलने पर मु्स्लिम वोट बैंक नाराज हो जाएगा.

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सियासी रंग लेता हनुमान चालीसा वितरण मामला
'न्यूज नेशन' से खास बातचीत में इशरत जहां ने स्पष्ट कहा कि जिस कार्यक्रम को लेकर मुस्लिम कट्टरपंथी उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, वह वास्तव में कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था. उनका कहना है कि हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिम त्योहारों में शिरकत करते हैं. उसी भावनावश वह भी हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने गई थीं. इसके बाद इस मसले पर राजनीति शुरू हो गई. तृणमूल ने इसे बीजेपी प्रायोजित कार्यक्रम बताना शुरू कर दिया. टीएमसी कि ओर से आरोप लगाया गया कि महज हिंदू-मुस्लिम राजनीति करने के लिए यह मसला बीजेपी ने खड़ा किया है. उनके कार्यक्रम में बुर्का पहने मुस्लिम महिला के शामिल होने से कट्टरपंथी नाराज हो गए हैं.

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इशरत ने कहा अगर बुर्का नहीं पहनती, तो भी 'बवाल' होता
हालांकि इस मसले पर इशरत जहां अलग ही राय रखती हैं. उन्होंने बातचीत में कहा कि अगर बुर्का पहन कर नहीं जाती, तो भी विवाद खड़ा होता. चूंकि वह तीन तलाक के खिलाफ एक याचिकाकर्ता हैं, इसलिए मुस्लिम कट्टरपंथी उनके खिलाफ तिल को ताड़ बना रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि हिंदू धार्मिक कार्यक्रम के आयोजक उनकी मदद को आगे आए या नहीं, इशरत जहां ने कहा कि फिलहाल तो वह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था. हालांकि उन्होंने विश्वास जताया कि जरूरत पड़ने पर कार्यक्रम के आयोजक उनकी मदद को जरूर आगे आएंगे.

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इस पर राजनीति बंद हो
खास बातचीत में इशरत जहां ने टीएमसी पर पीछे से राजनीति करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जब मुस्लिम हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं, तो हाय-तौबा क्यों नहीं मचती. सिर्फ एक बुर्का पहने मुस्लिम महिला के हिंदुओं के कार्यक्रम में शामिल होने से सारे उसूल टूट गए. कुरान को आधार बनाकर फतवे और धमकियां दी जाने लगीं. सरकार इस पर राजनीति कर कानून व्यवस्था से जुड़े मामले को धार्मिक रंग दे रही है.