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ठाकरे परिवार में क्या होगा एका, उद्धव के शपथ ग्रहण में पहुंचे राज ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने गुरुवार दिन में उन्हें निजी तौर पर आमंत्रित करने के लिए फोन किया था और राज ठाकरे ने उन्हें परिवार से पहला मुख्यमंत्री बनने पर बधाई भी दी.

Updated on: 28 Nov 2019, 07:47 PM

highlights

  • उद्धव ठाकरे ने फोन पर दिया राज को शपथ ग्रहण में शामिल होने का न्योता.
  • बदले में राज ने परिवार से पहला मुख्यमंत्री बनने पर उद्धव को दी बधाई.
  • महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार के एका पर कयास शुरू.

Mumbai:

कभी उत्तराधिकारी की लड़ाई में राज ठाकरे ने शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे से किनारा कर लिया था. इसके बाद राज ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का गठन कर साफ कर दिया था कि अब उनके और शिवसेना के रास्ते अलग-अलग हैं. शिवसेना पार्टी सुप्रीमो के पद पर उद्धव की औपचारिक ताजपोशी के बाद और साफ हो गया कि अब राज से सुलह-सफाई की गुंजाइश कम ही है. हालांकि शिवाजी मैदान पर उद्धव ठाकरे की सूबे के 19वें मुख्यमंत्री बतौर शपथ ग्रहण समारोह में राज ठाकरे की उपस्थिति ने इन कयासों को जन्म दे दिया कि बदली सियासी परिस्थितियों में ठाकरे बंधुओं में भी एका हो सकता है.

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उद्धव ने फोन कर दिया निमंत्रण
बताते हैं कि उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में होने वाले अपने शपथ ग्रहण समारोह में चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे को खुद आमंत्रित किया. उद्धव ठाकरे ने गुरुवार दिन में उन्हें निजी तौर पर आमंत्रित करने के लिए फोन किया था और राज ठाकरे ने उन्हें परिवार से पहला मुख्यमंत्री बनने पर बधाई भी दी. मनसे के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'हां..हमें बताया गया है कि राज ठाकरे को शपथ ग्रहण समारोह के लिए निमंत्रण दिया गया है. यह पूरे परिवार के लिए ऐतिहासिक क्षण है और सभी को उन पर गर्व है.'

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पहले भी लगे एका के कयास
हालांकि इसके पहले बालासाहब के निधन पर पर भी ऐसे कयास लगे कि अब परिवार और राज्य की सियासत की जरूरत को समझते हुए राज मातोश्री में वापसी कर सकते हैं. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. फिर भी ऐसे कई क्षण आए जब दोनों भाई एक साथ नजर आए. भले ही वह उद्धव की फोटोग्राफी प्रदर्शनी हो या कोई और पारिवारिक अवसर. हालांकि फिलवक्त राज ठाकरे सूबे की सियासत में अलग-थलग पड़े गए हैं. इस बार के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हालांकि मनसे का एक विधायक जीत कर आया है. अन्यथा लोकसभा चुनाव तक में मनसे को खाली हाथ ही लेना पड़ा था.