logo-image

तो क्या पीएम मोदी का स्वच्छ भारत अभियान आपको बीमार कर देगा?

स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने वन पिट शौचालय आसपास के जल को जहरीला बना रहा है, पानी पीकर लोग बीमार हो रहे हैं

Updated on: 10 Jul 2019, 06:48 AM

highlights

  • स्वच्छ भारत अभियान लोगों को कर रहा बीमार
  • पानी हो रहा प्रदूषित, लोग मजबूर
  • वन पिट शौचालय से हो रहा नुकसान

नई दिल्ली:

पीएम मोदी ने 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. पीएम ने देश को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया. पीएम मोदी ने पांच साल में भारत को स्वच्छ करने का संकल्प लिया था. उन्होंने कहा कि पूरा भारत 2 अक्टूबर 2019 को ओडीएफ मु्क्त हो जाएगा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, स्वच्छ भारत अभियान के तहत अबतक 5 फरवरी 2019 तक देश भर में 9 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है.

यह भी पढ़ें - सफाई कर्मचारियों की हड़ताल, ताजमहल में हर तरफ कचरा ही कचरा

देश को शौच से मुक्त करने के लिए पंचायत स्तर पर इज्जत घरों का निर्माण किया गया. सरकार ने लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया. खुले में शौच न जाने की अपील की. इससे न केवल बीमारी होती है, बल्कि इससे इज्जत का भी खतरा बनी रहती थी.सरकार ने लोगों से शौचालय बनाने की अपील की. इसके लिए सरकार की तरफ से प्रति शौचालय के लिए 12 हजार रुपये की सहयोग राशि दी जा रही है.

ग्रामीणों ने शौचालय बनाने का काम शुरू किया. इतने कम रकम में अच्छे शौचालय तो नहीं बन सकते. ग्रामीणों ने वन पिट शौचालय का निर्माण कर दिया. वन पिट शौचालय मतलब कच्चा गड्ढा न कि सैप्टी टैंक. पिट में मल जाने से वहां के आसपास का जल प्रदूषित होने लगा है. चापाकल से पहले मीठा पानी निकलता था. अब मीठा पानी तो दूर पानी से बदबू आने लगा है.

12 हजार काफी नहीं

12 हजार में अच्छे शौचालय नहीं बन सकते. इसके लिए सस्ते शौचालय बनाने शुरू कर दिए. वन पिट शौचालय में लागत कम लगती है.

टारगेट पूरा करने के लिए उठाया गलत कदम

सरकार टारगेट पूरा करने के लिए गलत कदम उठा रही है. उन्हें ये दिखाना है कि भारत को ओडीएफ मुक्त कर दिया गया. इसके बाद का परिणाम का बोध नहीं.

सैप्टिक टैंक के विकल्प पर सोचना होगा

सरकार की जिम्मेदारी बस शौचालय निर्माण करने की नहीं है. उन्हें सैप्टिक टैंक पर विचार करना होगा. नहीं तो आने वाले समय में बहुत बड़ा संकट हो जाएगा.

शौचालय में रखे जा रहे उपले

शौचालय तो बना दिया गया, लेकिन उसका संचालन नहीं हो रहा है. किसी का अधूरा है तो किसी को पैसा नहीं मिला. जिसकी वजह से शौचालय अधड़ में लटक गई है.

बोतल का पानी पीने के लिए मजबूर

लोग अब चापाकल का पानी पी नहीं सकते. जीने के लिए उच्च दामों पर बोतल का पानी पीने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ें - माउंट एवरेस्ट से स्वच्छता अभियान के तहत 10000 किलोग्राम से अधिक कूड़ा इकट्ठा किया गया

पानी अब पीने लाइक नहीं है. अगर वन पिट शौचालय का उचित प्रबंधन नहीं किया गया तो आने वाले समय में पीने के पानी के लिए संकट हो जाएगा. मानव मल वेस्ट में ऑक्सीजन न के बराबर होता है और वो जमीन के भीतर जा कर स्वच्छ पानी को प्रदूषित करना शुरू कर दिया है. इससे काफी लोग बीमार हो रहे हैं. धीरे-घीरे बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान गंवाने पर विवश हैं. सरकार शौचालयों की संख्या बढाते जा रहे हैं. लेकिन इस खतरे की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं.