ईरान-अमेरिका के बीच टकराव से भारत को हो रहा यह भारी नुकसान
ईरान और अमेरिका के बीच टकराव से खाड़ी क्षेत्र में गहराते फौजी तनाव से भारत में बासमती चावल निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि ईरान बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक है.
नई दिल्ली:
ईरान और अमेरिका के बीच टकराव से खाड़ी क्षेत्र में गहराते फौजी तनाव से भारत में बासमती चावल निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि ईरान बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक है और हालिया घटना से ईरान की खरीदारी पर असर पड़ सकता है. ईरान पिछले कुछ महीने से भारत से बासमती चावल नहीं खरीद रहा है, लेकिन भारतीय कारोबारियों को उम्मीद थी कि जनवरी के आखिर तक ईरान आयात खोल सकता है. अब, फौजी तनाव की स्थिति में इसमें विलंब हो सकता है. साथ ही, भारतीय कारोबारी भी अब ऐसे हालात में ईरान को अपना माल भेजने से घबराएंगे.
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पंजाब बासमती राइस मिल्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी आशीष कथूरिया ने ताजा घटनाक्रम पर आईएएनएस से बातचीत में कहा कि ईरान और अमेरिका के बीच टकराव से जो हालात पैदा हुए हैं, उसमें भारतीय कारोबारी ईरान से कारोबार करने में घबराएंगे क्योंकि ऐसी स्थिति में कई बार ऐसा होता है कि लाखों टन माल पड़ा रह जाता है और जो माल जाता भी है, उसका पैसा आना मुश्किल हो जाता है.
हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में संभव है कि ईरान को सीधे माल न जाए बल्कि दुबई को ज्यादा निर्यात हो, जहां से ईरान जरूरत के अनुसार चावल उठा सकता है. खाड़ी क्षेत्र में फौजी तनाव बढ़ने के बाद देश में बासमती धान और चावल के दाम में गिरावट आई है. बीते सप्ताह 1121 बासमती धान का दाम जहां 3,150 रुपये प्रति क्विंटल था, वहां इस सप्ताह घटकर 2,800-2,900 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है. वहीं, 1121 बासमती चावल का दाम भी घटकर 5,000-5,500 रुपये प्रतिक्विंटल के बीच आ गया है.
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कथूरिया ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल देश में बासमती का उत्पादन तकरीबन 28 फीसदी ज्यादा हुआ है और निर्यात सुस्त है जिसके चलते बासमती के दाम में पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 25 फीसदी की गिरावट आई है. उत्तराखंड के चावल कारोबारी लक्ष्य अग्रवाल ने कहा कि चावल का निर्यात इस साल पहले से ही घटा हुआ है और खाड़ी क्षेत्र के ताजा घटनाक्रम के बाद बासमती चावल का निर्यात घटने की आशंकाओं से चावल की घरेलू कीमतों में नरमी बनी हुई है.
हालांकि बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन के निदेशक ए. के . गुप्ता का कहना है कि सिर्फ युद्ध की स्थिति में खाद्य उत्पादों के आयात-निर्यात में रुकावटें आती हैं. ऐसी स्थिति अभी पैदा नहीं हुई है, इसलिए बासमती चावल निर्यात पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि ईरान में आगे चुनाव होना है जिसकी वहज से आयात खुलने में देर हो सकती है.
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ईरान चावल के अपने घरेलू उत्पादकों को प्रोत्साहन देने के लिए साल के आखिर में कुछ महीनों के लिए भारत से बासमती चावल का आयात रोक देता है, लेकिन नए साल में आयात पर प्रतिबंध हटा लेता है. इस साल अब तक ईरान ने बासमती चावल आयात पर प्रतिबंध नहीं हटाया है.
कथूरिया का अनुमान है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल बासमती चावल का निर्यात तकरीबन 10 फीसदी घट सकता है. वाणिज्य एवं मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो रुपये के मूल्य में बासमती चावल का कुल निर्यात चालू वित्त वर्ष 2019-20 के शुरुआती आठ महीने यानी अप्रैल से लेकर नवंबर तक तकरीबन चार फीसदी घट गया है. पिछले साल अप्रैल-नवंबर के दौरान भारत ने 18,439.77 करोड़ रुपये का बासमती चावल निर्यात किया था जो इस साल 3.89 फीसदी घटकर 17,723.19 करोड़ रुपये रह गया है.
बासमती चावल कारोबारियों का अनुमान है कि इस साल देश में बासमती चावल का उत्पादन तकरीबन 80-82 लाख टन होगा.
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