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भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर घुसपैठियों की खैर नहीं, सीमा पर होगी इलेक्ट्रॉनिक निगरानी

भारत-बंगलदेश में घुसपैठियों की अब खैर नहीं है. आज से इलेक्ट्रॉनिक निगरानी का काम शुरू होगा, जिससे बॉर्डर की चौकसी की जा सकेगी.

Updated on: 05 Mar 2019, 07:27 PM

नई दिल्ली:

भारत-बंगलदेश में घुसपैठियों की अब खैर नहीं है. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने असम के धुबरी जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीआईबीएमएस (व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली) के तहत बोल्ड- क्यूआईटी (बॉर्डर इलेक्ट्रोनिकली डोमिनेटेड क्यूआरटी इंटरसेप्शन टेक्निक) परियोजना का उद्घाटन किया. इसी के साथ आज से इलेक्ट्रॉनिक निगरानी का काम शुरू होगा, जिससे बॉर्डर की चौकसी की जा सकेगी. असम के धुबरी जिले में सीमा क्षेत्र का 61 किलोमीटर का हिस्सा, जहां ब्रहमपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, विशाल भू-भाग और अनगिनत नदी चैनलों से मिलकर बनता है, जिससे इस क्षेत्र में विशेष रूप से बरसात के मौसम में, सीमा की रखवाली एक दुष्कर कार्य बन जाता है.

इस समस्या से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने साल 2017 में बीएसएफ के जवानों की वास्तविक उपस्थिति के अतिरिक्त प्रौद्योगिकीय समाधान का भी फैलसा लिया. जनवरी 2018 में बीएसएफ की सूचना एवं प्रौद्योगिकी शाखा ने बोल्ड-क्यूआईटी परियोजना शुरू की और विभिन्न विनिर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं की तकनीकी सहायता से इसे रिकार्ड समय में पूरा कर लिया.

बयान के अनुसार, इस समस्या से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने साल 2017 में बीएसएफ के जवानों की वास्तविक उपस्थिति के अतिरिक्त प्रौद्योगिकीय समाधान का भी निर्णय लिया. जनवरी 2018 में बीएसएफ की सूचना एवं प्रौद्योगिकी शाखा ने बोल्ड- क्यूआईटी परियोजना शुरू की और विभिन्न विनिर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं की तकनीकी सहायता से इसे रिकार्ड समय में पूरा कर लिया.

इस परियोजना का कार्यान्वयन बीएसएफ को न केवल सभी प्रकार के सीमा पार अपराधों पर अंकुश लगाने में सहायता प्रदान करेगा, बल्कि टुकड़ियों को 24 घंटे मानव निगरानी से भी राहत मिलेगी. इससे पहले, राजनाथ ने पिछले साल सितंबर महीने में जम्मू में भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर प्रत्येक 5 किलोमीटर पर दो स्मार्ट बाड़ लगाने वाली पायलट परियोजनाओं का उद्घाटन किया था.