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समुद्र में बढ़ेगी भारत की ताकत, पूरी होने वाली है 1.2 लाख करोड़ की ये परियोजना

इसके तहत पारंपरिक मिसाइलों और टॉरपीडो से लैस पनडुब्बियों से दुश्मनों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी.

Updated on: 22 Feb 2020, 04:58 PM

नई दिल्ली:

भारत भविष्य में परमाणु ऊर्जा (Atomic Energy) से चलने वाली पनडुब्बियों (Submarine) के निर्माण के लिए 1.2 लाख करोड़ रुपये की अपनी परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. इस परियोजना में विस्तृत डिजाइन चरण के लिए सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है. सरकार ने परमाणु ऊर्जा से संचालित होने के लिए छह उन्नत हमले वाली पनडुब्बियों के निर्माण की योजना बनाई है. इसके तहत पारंपरिक मिसाइलों और टॉरपीडो से लैस पनडुब्बियों से दुश्मनों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी. पिछले एक दशक में यह पहला मौका होगा कि जब नौसेना अपनी नौकाओं को वापस लेकर उन्नत नौकाओं को मॉनिटरिंग पर लगा सकती है. यह परियोजना भारत को पांच देशों की चुनिंदा लीग में शामिल करे देगी. साल 1974 में इस क्लब में प्रवेश करने वाला चीन आखिरी देश था. 

आपको बता दें कि मौजूदा समय में भारतीय नौसेना के साथ दो परमाणु संचालित पनडुब्बियां हैं पहली आईएएनस अरिहंत (INS Arihant) और दूसरी चक्र. चक्र पनडुब्बी भारतीय नौसेना को रूस से लीज पर मिली हुई है. वहीं अरिहंत वर्ग में एक और पनडुब्बी नौसेना के पास हे जिसे आईएनएस अरिघाट के नाम से जानते हैं. यह मौजूदा वर्ष में परमाणु निरोधी दस्ते में जुड़ने वाली है. साल 2024 से पहले दो और अनुवर्ती नौकाओं के भारतीय नौसेना में प्रवेश करने की संभावना है. आईएनएस अमेरिकी नौसेना में 55 से ज्यादा परमाणु संपन्न पनडुब्बियों का संचालन करती है. वहीं चीन के पास ऐसी 10 पनडुब्बियां हैं लेकिन वो तेजी से इसका विस्तार करने पर लगा हुआ है. इनमें से हिंद महासागर और कई पड़ोसी देशों के पोर्ट पर भी चीन की ऐसी परियोजनाएं चल रहीं हैं जिनपर वो परमाणु संपन्न पनडुब्बियों के निर्माण में तेजी से आगे बढ़ रहा है. 

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24 जनवरी को भारत ने किया था सफल परीक्षण
भारत ने शुक्रवार को विशाखापट्टनम तट से एक हफ्ते में दूसरी बार पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल के-4 का सफल परीक्षण किया. इसे नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिहाज से मील का अहम पत्थर माना जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि डीआरडीओ द्वारा विकसित ये मिसाइल 3,500 किलोमीटर तक मार कर सकती है और इसकी जद में पाकिस्तान के सभी हिस्सों के साथ चीन के कुछ इलाके भी आते हैं. इस मिसाइल को भारत की अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों पर तैनात किये जाने की तैयारी है. अधिकारी ने कहा कि विशाखापट्टनम के तट से पांच दिन के अंदर लगातार दूसरी बार मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया.

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भारत ने अरब सागर में तैनात किया विक्रमादित्य
भारत ने अपना विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य अरब सागर में तैनात किया है. भारत ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब चीन और पाकिस्तान उस क्षेत्र में नौ दिवसीय नौसैनिक अभ्यास कर रहे हैं. माना जा रहा है कि इस कदम के जरिए भारत ने अपने दोनों पड़ोसियों को स्पष्ट संकेत दिया है. सैन्य सूत्रों ने मीडिया को बताया कि जब पोत को सामरिक मिशन पर तैनात किया गया, नौसेना मुख्यालय के शीर्ष अधिकारी विमानवाहक पोत पर सवार थे.

पाक और चीन कर रहे थे 'सी गार्जियन' अभ्यास
पाकिस्तान और चीन का नौसेना अभ्यास सोमवार को उत्तरी अरब सागर में शुरू हुआ था इसका मकसद दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है. कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच 'सी गार्जियन' अभ्यास हो रहा है. सूत्रों ने बताया कि विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को सामरिक उद्देश्य के साथ भेजा गया है और उस पर मिग 29के युद्धक विमान तैनात हैं. नौसेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि नौसेना के उप-प्रमुख एम एस पवार ने अरब सागर में आईएनएस विक्रमादित्य के परिचालन की समीक्षा की.

IANS विक्रमादित्य 2013 में भारतीय नौसेना में हुआ था शामिल
प्रवक्ता के अनुसार उप-प्रमुख ने विश्वास व्यक्त किया कि आईएनएस विक्रमादित्य अपने नाम को सच साबित करेगा और लड़ाई में हमेशा विजयी रहेगा. चीन पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है और इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है. आईएनएस विक्रमादित्य को नवंबर 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और उसे वैश्विक स्तर पर शीर्ष के विमान वाहकों में से एक माना जाता है.

नवंबर 2018 में भारत ने पूरा किया था परमाणु त्रिकोण
इसके पहले नवंबर 2018 में परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने सफलतापूर्वक अपना निवारक गश्त पूरा कर लिया था. इसके साथ ही भारत ने नवंबर 2018 में ही अपना परमाणु त्रिकोण पूरा कर लिया था. इसके साथ ही भारत आसमान, जमीन और समुद्र तीनों जगहों से परमाणु हमला करने में सक्षम देश बन गया. स्ट्रेटजिक स्ट्राइक न्यूक्लियर सबमरीन( एसएसबीएन) आईएनएस अरिहंत के चालक दल के सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'आज ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि हम परमाणु त्रिकोण के सफलतापूर्वक स्थापित होने पर खुशी मना रहे हैं. भारत का परमाणु त्रिकोण वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ होगा.'