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करतारपुर कॉरिडोर पर इमरान खान के दोहरे रवैये से भारत नाराज, कहा- पाकिस्तान शंकाग्रस्त

भारत ने कहा कि पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की कथित उदारता मौजूदा बातचीत से मेल नहीं खायी है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम करतापुर पर आगे बढ़े रहे हैं.

Updated on: 16 Mar 2019, 12:44 PM

नई दिल्ली:

करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान के दोहरे रवैये को लेकर भारत ने कहा कि वह सिख तीर्थयात्रियों की अनुमति पर मौजूदा बातचीत को लेकर पाकिस्तान से नाराज है. भारत ने कहा है कि करतारपुर को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने टीवी पर की गई घोषणा, इसमें सिख समुदाय को सुविधाएं दिए जाने की बातें की गई थी जो एक उदार प्रस्ताव की तरह था. लेकिन बातचीत के दौरान भारत ने जो पाया, उसमें उनका एक संकीर्ण और सीमित लक्ष्य है. सूत्रों के मुताबिक, तीर्थयात्रियों को मिलने वाली अनुमति को लेकर अभी जो बातचीत हो रही है उससे भारत निराश है.

सूत्रों के मुताबिक, भारत ने कहा कि पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की कथित उदारता मौजूदा बातचीत से मेल नहीं खायी है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम करतापुर पर आगे बढ़े रहे हैं. हमारी स्थिति वैसी ही है, पाकिस्तान शंकाग्रस्त है.

बता दें कि 14 मार्च को अटारी में भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर हुई बैठक में पाकिस्तान ने कहा कि प्रतिदिन सिर्फ 500 सिख तीर्थयात्री ही करतारपुर साहिब का दर्शन कर पाएंगे, जबकि भारत ने 5,000 तीर्थयात्रियों का प्रस्ताव रखा था. इसके अलावा भारत ने विशेष अवसरों पर 15,000 यात्रियों को अनुमति देने की बात कही थी.

इसके अलावा भारत ने तीर्थयात्रियों को पैदल यात्रा नहीं करने देने और विशेष परमिट दिए जाने का भी प्रस्ताव रखा था जिस पर पाकिस्तान ने इंकार कर दिया.

हालांकि गुरुवार को आयोजित बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस बयान में कहा गया था, 'दोनों पक्षों ने प्रस्तावित समझौते के प्रावधानों व विभिन्न पहलुओं पर रचनात्मक व विस्तृत चर्चा की और करतारपुर साहिब कॉरिडोर के तेजी से संचालन की दिशा में कार्य करने पर सहमति जताई.'

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इसके अलावा रेफरेंडम-2020 को लेकर भारत ने कहा, 2020 रेफरेंडम विदेशों में रहने वाले सिख समुदाय से जुड़ा है. भारत उन देशों को कह चुका कि यह सिख समुदाय को बहुत छोटा हिस्सा है, सिखों का बहुसंख्यक समुदाय शांतिप्रिय हैं और रोजगार व विकास पर केंद्रित हैं.

रेफरेंडम 2020 को लेकर भारत ने कहा, कथित जनमत संग्रह उन नागरिकों के द्वारा होना है जो भारतीय नहीं हैं और दूसरे देश के नागरिक हैं, यह पूरी तरह अनुपयुक्त हैं. जनमत संग्रह के बारे में उनके नागरिकों की बातचीत अलगाववाद के जैसा है.