भारत ने अब रूस से किया 200 करोड़ रुपये का एंटी-टैंक मिसाइल सौदा
दरअसल भारत की कोशिश है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद जिस तरह का घटनाक्रम भारत और पाकिस्तान के बीच बना था, वैसी स्थिति से किसी भी समय निपटने के लिए तैयार रहा जाए.
highlights
- भारतीय वायुसेना ने रूस के साथ एंटी-टैंक मिसाइल 'स्त्रम अटाका' का सौदा किया है.
- दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने के 3 महीने के भीतर ही इसकी आपूर्ति देनी होगी.
- युद्ध जैसी स्थितियों से किसी भी समय निपटने के लिए हो रहे रक्षा सौदे.
नई दिल्ली.:
भारत अब बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक सरीखी युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए हर वक्त तैयार रहना चाहता है. इसी उद्देश्य से भारतीय वायुसेना ने रूस के साथ एंटी-टैंक मिसाइल 'स्त्रम अटाका' का सौदा किया है. दरअसल भारत की कोशिश है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद जिस तरह का घटनाक्रम भारत और पाकिस्तान के बीच बना था, वैसी स्थिति से किसी भी समय निपटने के लिए तैयार रहा जाए. इसे एंटी-टैंक मिसाइल को एमआई-35 अटैक चॉपर्स के बेड़े के साथ जोड़ा जाएगा.
3 महीनों में देनी होगी आपूर्ति
सरकार के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, 'एंटी-टैंक मिसाइल 'स्त्रम अटाका' को अधिग्रहित करने की डील इस शर्त के साथ साइन की गई है कि दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने के 3 महीने के भीतर ही इसकी आपूर्ति देनी होगी.' अधिकारी ने बताया कि दोनों देशों के बीच यह सौदा करीब 200 करोड़ रुपये में तय हुआ है. इसके बाद भारत के एमआई-35 चॉपर्स शत्रु के टैंक और दूसरे हथियारबंद वाहनों पर हमला कर सकेंगे.
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एमआई-35 चॉपर को अपाचे गनशिप्स से बदला जाएगा
एमआई-35 भारतीय वायुसेना के लड़ाकू हेलीकॉप्टर हैं. इन हेलीकॉप्टर को अमेरिका के अपाचे गनशिप्स से बदला जाएगा. भारत रूसी मिसाइल को अधिग्रहित करने की योजना लंबे समय से बना रहा था, लेकिन लगभग एक दशक के बाद यह सौदा खास शर्तों के साथ साइन किया गया है. गौरतलब है कि भारत की तीनों सेनाओं की तरफ आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए की गई मांगों को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक प्रजेंटेंशन दी थी. भारतीय वायुसेना को इस मामले में सबसे ज्यादा महत्व दिया गया, इसके बाद भारतीय थल सेना का नंबर है.
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सेना भी फ्रांस से ले रही एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
वहीं भारतीय आर्मी भी आपातकालीन परिस्थित के तहत फ्रांस से स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और रूस से एलजीएलए-एस एयर डिफेंस मिसाइल डील को फाइनल करने की प्रक्रिया में है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि आपातकालीन परिस्थितियों में तीनों सेनों के प्रमुखों को यह ताकत दी गई है कि वे तीन महीने में सप्लाई की शर्त के साथ 300 करोड़ रुपये तक की डील फाइनल कर सकते हैं.
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रूस के साथ फाइनल की एस-400 डील
इससे पहले भारत रूस के साथ एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद भी फाइनल कर चुका है. एस-400 रूस की सबसे आधुनिक लंबी दूरी की सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है. रूस से 2014 में यह प्रणाली खरीदने वाला चीन सबसे पहला देश था. भारत और रूस ने पिछले साल अक्टूबर में पांच अरब डॉलर के एस-400 वायु रक्षा प्रणाली सौदे पर हस्ताक्षर किए थे.
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