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Mann ki Baat: पीएम नरेंद्र मोदी ने की जीत, जल, जीवन, बुक और योग पर बात

'मन की बात' में इस बार प्रधानमंत्री का खासा जोर जल संरक्षण पर रहा, जिसके लिए उन्होंने स्वच्छता अभियान की तरह जल आंदोलन छेड़ने की बात कही. एक महत्वपूर्ण आह्वान उन्होंने 'बुके नहीं बुक' के रूप में भी किया.

Updated on: 30 Jun 2019, 12:23 PM

highlights

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में जल संरक्षण पर दिया जोर.
  • दिग्गज हस्तियों से जल संरक्षण का नेतृत्व करने की अपील की.
  • लोकतंत्र को सबसे बड़ा पर्व बता शामिल होने वालों को दिया धन्यवाद

नई दिल्ली.:

बतौर प्रधानमंत्री अपने पहले कार्यकाल में 24 फरवरी को आखिरी बार 'मन की बात' करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी लंबे अंतराल के बाद रविवार को फिर देशवासियों के सामने हाजिर हुए. इस अवसर पर उन्होंने 'मन की बात' न कर पाने से उपजे खालीपन, लोकसभा चुनाव, केदरनाथ प्रवास, आपातकाल समेत जल संरक्षण और योग पर चर्चा की. उन्होंने 17वीं लोकसभा चुनाव में भाग लेने के लिए मतदाताओं का आभार प्रकट किया, तो अपनी जीत को उनके विश्वास की देन बताया. 'मन की बात' में इस बार प्रधानमंत्री का खासा जोर जल संरक्षण पर रहा, जिसके लिए उन्होंने स्वच्छता अभियान की तरह जल आंदोलन छेड़ने की बात कही. एक महत्वपूर्ण आह्वान उन्होंने 'बुके नहीं बुक' के रूप में भी किया.

मन की बात प्राणवायु
'मन की बात' की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सिलसिले के रुकने से उपजे खालीपन की चर्चा के साथ की. उन्होंने बताया कि किस तरह मन की बात उनके लिए चेतना यात्रा का माध्यम बन गया है. देश की सवा अरब की आबादी से भावनात्मक संबंधों की इस यात्रा को उन्होंने अपने लिए प्राण वायु और प्रेरणादायी बताया. फिर उन्होंने कहा कि वह लोकसभा चुनाव के बीच केदारनाथ क्यों गए थे. उन्होंने कहा कि वह मन के खालीपन को भरने और आत्म चिंतन करने के लिए ही केदारनाथ गए थे, लेकिन उसका भी राजनीतिकरण कर दिया गया. केदारनाथ प्रवास पर उन्होंने आगे बात करने का वादा किया.

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लोकतंत्र रगों में बहता है
फिर पीएम मोदी ने आपातकाल की चर्चा की. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र हमारी विरासत है, इसे सुरक्षित रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में जब आपातकाल लगाया गया तो उसका विरोध राजनीतिक दायरे तक ही सीमित नहीं था. जन-जन के दिल में एक आक्रोश था. आपातकाल में हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है. हम लोकतंत्र की विरासत के साथ पले-बढ़े लोग हैं, इसलिए लोग आपातकाल में कमी महसूस कर रहे थे. भारत के हर व्यक्ति ने अपनी सभी समस्याओं को किनारे रख 1977 लोकतंत्र के लिए मतदान किया था. कोई चीज जब हमारे पास होती है तो हम उसे कमतर आंक लेते हैं, लेकिन हमें यह मानना चाहिए कि लोकतंत्र कितना अहम है. उन्होंने कहा सदियों की साधना का परिणाम है लोकतंत्र, जो हमारी रगों में बहता है.

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'बुके नहीं बुक' परंपरा शुरू करने पर जोर
इसके बाद पीएम मोदी ने पढ़ने की महत्ता को समझाते हुए 'बुके नहीं बुक' परंपरा की शुरुआत का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि किसी का स्वागत सत्कार अब बुके देकर नहीं करें, बल्कि बुक यानी किताब देकर करें. इसके साथ ही उन्होंने प्रेमचंद की कहानियों के नाम से उन्हें भेंट दी गई पुस्तक का जिक्र किया. उन्होंने प्रेमचंद को जन-जन और यर्थाथ का लेखक बताया, जो समाज के शोषित-वंचित तबके से जुड़े हुए थे. इसके साथ ही उन्होंने 'नशा', 'पूस की रात', 'ईदगाह' जैसी कहानियों और उनसे मिली सीख का जिक्र किया. इस वर्ग में उन्होंने केरल की 'अक्षरा' लाइब्रेरी का खासतौर से जिक्र करते हुए उसकी सफलता के पीछे के दो आधारस्तंभों को उसका श्रेय दिया.

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जन आंदोलन बनाएं जल संरक्षण को
इसके बाद 'मन की बात' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संरक्षण पर बात शुरू की. पीएम मोदी ने कहा कि देश में एक बड़ा हिस्सा हर साल जल संकट से गुजरता है, इससे बचने के लिए जल संरक्षण की जरूरत है. उन्होंने कहा, हमें विश्वास है कि हम जनशक्ति और सहयोग से इस संकट का समाधान कर लेंगे. उन्होंने बताया कि नया जलशक्ति मंत्रालय बनाया गया है, ताकि किसी भी संकट के लिए तत्काल फैसले लिए जा सकें. इस महीने की 22 तारीख को हजारों पंचायतों में तमाम लोगों ने जल संरक्षण का संकल्प लिया.

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जल संरक्षण के 3 अनुरोध
यही नहीं, पीएम मोदी ने जल संकट को दूर करने के लिए जल संरक्षण अभियान छेड़ने से जुड़े तीन अनुरोध भी किए. पहला, स्वच्छता की तरह ही जल संरक्षण को भी जनांदोलन का रूप देने का. दूसरा, ऐसे प्रयोगों का अध्ययन करने का, जहां जलसंरक्षण का प्रयास हो रहा हो. तीसरा, जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों की जानकारियों को साझा करने का. इसके साथ ही उन्होंने समाज के हर तबके के सेलिब्रिटीज से भी जल संरक्षण आंदोलन को नेतृत्व प्रदान करने का भी आह्वान किया. इसके साथ ही उन्होंने जनशक्ति फॉर जलशक्ति हैशटैग शुरू करने की भी अपील की.

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योग जीवनदायी है
सबसे अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को योग दिवस को इतने बड़े पैमाने पर मनाने के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा, 21 जून को फिर से एक बार योग दिवस में उमंग के साथ, एक-एक परिवार के तीन-तीन चार-चार पीढ़ियों ने एक साथ आ करके योग दिवस मनाया. उन्होंने कहा, शायद ही कोई जगह ऐसी होगी, जहां इंसान हो और योग के साथ जुड़ा हुआ न हो, इतना बड़ा रूप योग ने रूप ले लिया है. पीएम मोदी ने आगे कहा, योग के क्षेत्र में योगदान के लिए प्रधानमंत्री अवार्ड्स की घोषणा, अपने आप में मेरे लिए एक बड़े संतोष की बात थी. यह पुरस्कार दुनिया भर के कई संगठनों को दिया गया है.