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राज्यसभा में उठा IIMC दिल्ली के डीजी के 'तदर्थवाद' और 'तानाशाही' का मुद्दा

भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) में फैकल्टी मेंबर्स को नजरअंदाज कर प्रशासन की तरफ से लगातार लिए जा रहे मनमाने फैसले का मुद्दा संसद के उच्च सदन में उठा।

Updated on: 05 Aug 2017, 05:23 PM

नई दिल्ली:

भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) में फैकल्टी मेंबर्स को नजरअंदाज कर प्रशासन की तरफ से लगातार लिए जा रहे मनमाने फैसले का मुद्दा संसद के उच्च सदन में उठा।

जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राज्यसभा सांसद अली अनवर ने राज्यसभा में आईआईएमसी प्रशासन के मनमानीपूर्ण फैसले का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आईआईएमसी जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के नियमों और परंपराओं को नजरअंदाज करते हुए सभी फैसले लिए जा रहे हैं।

अनवर ने कहा, 'संस्थान में तदर्थवाद और तानाशाही हावी हो चुका है। छात्रों, कर्मचारियों से लेकर फैकल्टी के सदस्यों तक को खुलेआम धमकाया जा रहा है।'

पिछले अकादमिक सत्र में न्यूज वेबसाइट पर संस्थान के तौर-तरीकों पर लिखने के मामले में एक छात्र को निलंबित किए जाने और चार छात्रों को सोशल मीडिया पर लिखने की चेतावनी दिए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'क्या एक पत्रकारिता संस्थान में भी छात्रों को स्वतंत्र तरीके से लिखने-बोलने की आजादी नहीं होगी।'

(अली अनवर के भाषण को इस वीडियो में 42 मिनट से 45 मिनट के बीच सुना जा सकता है।)

अनवर ने संस्थान के फैकल्टी चीफ को मनमाने तरीके से हटाए जाने का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आर एंड टीवी की प्रमुख को बिना कुछ बताए उनके पद से हटा दिया गया वहीं कुछ महीनों पहले अंग्रेजी पत्रकारिता के प्रमुख का तबादला ढेंकनाल कर दिया गया, जबकि वह सिर्फ 8 महीने में रिटायर होने वाले थे।

उन्होंने कहा, 'संस्थान में मनमाने तरीके से विभाग बनाए जा रहे हैं और उनमें एक खास विचार के लोगों की तदर्थ नियुक्तियां की जा रही हैं।' अनवर ने कहा कि संस्थान की कार्यकारी परिषद की तरफ से मंजूरी दिए जाने के बाद भी अभी तक एकेडमिक काउंसिल का गठन नहीं किया गया है और नहीं फैकल्टी मेंबर्स के प्रोमोशन की स्कीम को लागू किया गया है।

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अनवर ने कहा कि संस्थान के महानिदेशक के जी सुरेश शिक्षकों से मिलने को तैयार नहीं हो रहे हैं। संस्थान का नया सत्र 1 अगस्त से शुरु होना था लेकिन इससे पहले की तैयारियों के सिलसिले में महानिदेशक ने फैकल्टी मेंबर्स के साथ कोई बैठक नहीं की।

महानिदेशक के इस रवैये की वजह से ही दिल्ली कैंपस के 11 शिक्षकों में से आठ शिक्षकों ने खुद को प्रशासनिक जिम्मेदारियों से मुक्त करने की मांग भी की है।

अनवर ने कहा, 'संस्थान के महानिदेशक के अलोकतांत्रिक और तदर्थवादी रुख का विरोध करते हुए इन शिक्षकों ने अपने पद से इस्तीफा दिए जाने की पेशकश की।'

आईआईएमसी दिल्ली के शिक्षकों ने महानिदेशक के जी सुरेश पर उन्हें निशाना बनाने और बदनाम करने के आरोप लगाया है। शिक्षकों ने सुरेश के साथ-साथ केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को भी पत्र लिखा है। मंत्रालय के सचिव आईआईएमसी के पदेन अध्यक्ष होते हैं।

अनवर ने इस दौरान आईआईएमसी दिल्ली में लड़कों के हॉस्टल को भी बंद किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि संस्थान ने ऐसे ही मनमाने ढंग से एकतरफा कार्रवाई करते हुए लड़कों के छात्रावास को बंद कर दिया।

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