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राज्यसभा में मानवाधिकार संरक्षण संशोधन विधेयक पारित

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन विधेयक के प्रभावी होने को ध्यान में रखकर किया गया है.

Updated on: 22 Jul 2019, 10:43 PM

highlights

  • विधेयक में NHRC के सदस्यों की संख्या बढ़ेगी
  • RTI संशोधन विधेयक बिल भी लोकसभा में पारित
  • विपक्ष ने किया था RTI संशोधन विधेयक बिल का विरोध

नई दिल्ली:

मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पारित हो गया. विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, देश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के चेयरपर्सन के तौर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश के अलावा, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की जा सकती है. विधेयक में एनएचआरसी के सदस्यों की संख्या दो से बढ़ाकर तीन करने का भी प्रावधान है. वर्तमान में सिर्फ सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अध्यक्षता कर सकते हैं जबकि प्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हो सकते हैं.

विधेयक में प्रस्तावित संशोधन में राष्ट्रीय व राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन का कार्यकाल मौजूदा पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया गया है. विधेयक पर बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के सदस्य विवेक तन्खा ने पूछा कि अगर प्रधान न्यायाधीश उपलब्ध हैं तो क्या 'पसंद के न्यायाधीश' के पक्ष में चयन को लेकर उनकी अनदेखी की जाएगी? उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या इससे मानवाधिकार संस्थाओं में 'पसंद से चयन' की व्यवस्था बनेगी? उन्होंने कहा, "इस मसले पर ज्यादा स्पष्टता की आवश्यकता है."बाद में विधेयक पर सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन विधेयक के प्रभावी होने को ध्यान में रखकर किया गया है. विधेयक को चयन समिति के पास भेजने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई लेकिन बाद में इसे खारिज कर दिया गया. 

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RTI संशोधन विधेयक बिल लोकसभा में पारित
वहीं सोमवार को लोकसभा में सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2019 पारित हो गया. मोदी सरकार ने बीते शुक्रवार को संसोधन विधेयक निम्न सदन में पेश किया था. संशोधन विधेयक में केंद्र सरकार को कई शक्ति देता है. जिसमें केंद्र एवं राज्य स्तर पर सूचना आयुक्तों के वेतन एवं सेवा शर्तों का निर्धारण करना शामिल है. वहीं, इस प्रस्तावित संशोधन का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार का इस संशोधन के जरिए इस कानून को कमजोर बना रही है.

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