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फारुक-उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की रिहाई की तारीख नहीं बताएगी सरकार

गृह मंत्रालय ने यह जानकारी सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में नजरबंद और हिरासत में रखे गए नेताओं को रिहा करने की समय सीमा घोषित करने की बात कही गई थी.

Updated on: 04 Dec 2019, 05:07 PM

highlights

  • फिलवक्त 5,161 लोगों को नजरबंद और हिरासत में रखा गया है.
  • शांति व्यवस्था के लिए गृह मंत्रालय ने हिरासत को बताया जरूरी.
  • यानी उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की रिहाई फिलहाल तय नहीं.

New Delhi:

गृह मंत्रालय ने यह जानकारी सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में नजरबंद और हिरासत में रखे गए नेताओं को रिहा करने की समय सीमा घोषित करने की बात कही गई थी. गौरतलब है कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा हटाने के कदम से पहले केंद्र सरकार ने ऐहितियातन फारुक अब्दुल्ला समेत उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई राजनेताओं, अलगाववादी समेत अन्य नेताओं को नजरबंद किया था. सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि फिलवक्त 5,161 लोगों को नजरबंद और हिरासत में रखा गया है. इनमें से कुछ पत्थरबाज भी शामिल हैं.

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609 एहितियातन हिरासत में
गृह मंत्रालय ने लिखित जवाब में बताया कि 609 लोगों को ऐहितियातन हिरासत में रखा गया है. चूंकि हिरासत के इन आदेशों के पीछे संबंधित मजिस्ट्रेट ने कानूनी प्रावधानों का सहारा लिया है, ऐसे में यह बता पाना सरकार के लिए संभव नहीं है कि हिरासत में रखे गए लोगों की रिहाई कब तक हो सकेगी. गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही विपक्ष ने हिरासत में रखे गए नेताओं की रिहाई को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया था और सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया था.

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बताया शांति व्यवस्था के लिए जरूरी
केंद्र सरकार ने 'एक देश एक कानून' के अपने चुनावी घोषणापत्र पर अमल करते हुए 4 अगस्त को इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर के प्रमुख नेताओं को नजरबंदी में रखे जाने के आदेश दिए थे. इसके बाद चरणबद्ध तरीके से केंद्र सरकार ने इंटरनेट पर ढील दी थी और स्कूल-कॉलेज खोले थे. हालांकि कुछ नेताओं की रिहाई को हिरासत में बदल कर उन्हें उनके-उनके घरों में कैद रखा हुआ है. केंद्र का मानना है कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसा करना फिलहाल जरूरी है.