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हिन्दूओं को किसी के विरुद्ध नहीं होना चाहिए, मोहन भागवत ने कहा खुलापन उनकी खासियत

भागवत ने हिन्दुओं को जागृत एवं सतर्क रहने पर जोर देते हुए कहा कि जब तक हिन्दू संगठित एवं सतर्क है, उसे कोई खतरा नहीं है.

Updated on: 19 Feb 2020, 07:40 AM

highlights

  • खुलापन हिन्दुओं की विशेषता है और इसे बचाये रखा जाना चाहिए.
  • हिन्दू समाज को जागृत होना चाहिए, लेकिन किसी के विरूद्ध नहीं.
  • सार्वजनिक सम्पत्ति को जलाया या नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता.

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने स्तंभकारों के एक समूह के कहा कि खुलापन हिन्दुओं (Hindus) की विशेषता है और इसे बचाये रखा जाना चाहिए. समझा जाता है कि भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज को जागृत होना चाहिए, लेकिन किसी के विरूद्ध नहीं होना चाहिए. भागवत ने दिल्ली के छत्तरपुर इलाकों में देशभर के 70 स्तंभकारों से बंद कमरे में संवाद किया और आरएसएस के बारे में फैलायी जा रही गलत धारणा को लेकर चर्चा की. आरएसएस प्रमुख के साथ बैठक में मौजूद कुछ स्तंभकारों ने इस संवाद को सार्थक बताया जिसमें विविध विषयों पर व्यापक चर्चा हुई.

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हिन्दओं को कोई खतरा नहीं
एक स्तंभकार के अनुसार, भागवत ने कहा, 'खुलापन हिन्दुओं की विशेषता है और इसे बचाये रखा जाना चाहिए.' भागवत ने हिन्दुओं को जागृत एवं सतर्क रहने पर जोर देते हुए कहा कि जब तक हिन्दू संगठित एवं सतर्क है, उसे कोई खतरा नहीं है. स्तंभकार के अनुसार सरसंघचालक ने कहा, 'हिन्दुओं को जागृत रहना है लेकिन किसी के विरूद्ध नहीं. उन्हें प्रतिक्रियावादी होने की जरूरत नहीं. हम किसी का वर्गीकरण नहीं करते हैं. हम किसी पर संदेह नहीं करते हैं.' नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और इसके खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर भागवत ने कहा कि किसी भी कानून को नापसंद किया जा सकता है और उसमें बदलाव की मांग की जा सकती है, लेकिन इसके नाम पर न तो बसें जलाई जा सकती हैं और न ही सार्वजनिक संपत्ति को बर्बाद किया जा सकता है.

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लोकतंत्र में हिंसा सही नहीं
नागरिकता संशोधन अधिनियम और इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर भागवत ने कहा कि कोई भी कानून को पसंद या नापसंद कर सकता है, उसे बदलने की भी मांग कर सकता है लेकिन सार्वजनिक सम्पत्ति को जलाया या नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है. यह लोकतंत्र में सही नहीं है. भागवत ने पूछा, 'लेकिन अब हाथों में तिरंगा और संविधान लेकर तथा भारत माता की जय कह रहे हैं, तब कौन बदल रहा है.' संघ प्रमुख ने बीते शनिवार को अहमदाबाद में कहा था कि भौतिकवादी सुख-सुविधाओं में कई गुणा वृद्धि के बावजूद समाज में हर कोई नाखुश है और निरंतर आंदोलन कर रहा है. चाहे वह मालिक हो या नौकर, विपक्षी दल हो या आम आदमी, छात्र हो या शिक्षक, हर कोई नाखुश और असंतुष्ट है.