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Hamari Sansad Sammelan: संसद में जय श्रीराम बोलना अभिव्यक्ति की आजादी है, किसी को आपत्ति क्यों?

तेजस्वी सूर्या का कहना है कि संविधान के तहत सदन के भीतर आप कोई बात उठा सकते हैं. किसी भी शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह स्थिति संविधान प्रदत्त है.

Updated on: 21 Jun 2019, 04:34 PM

highlights

  • युवा बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने जय श्रीराम नारे की करी वकाल,.
  • निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने कहा संसद में इसकी कोई जगह नहीं.
  • हमारी संसद सम्मेलन में धार्मिक नारेबाजी पर आई मिश्रित प्रतिक्रिया.

नई दिल्ली.:

लोकसभा में सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कुछ सांसदों के शपथ के दौरान धार्मिक नारेबाजी हुई थी. इसके बाद नवनिर्वाचित स्पीकर ओम बिड़ला ने इस तरह की धार्मिक नारेबाजी पर सख्त रुख अख्तियार किया और इससे बाज आने के निर्देश दिए. ऐसे में 'हमारी संसद सम्मेलन' में जब यही मसला उठा तो पहली बार बतौर सांसद चुनकर संसद आए युवा नेताओं ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी. उत्तरी बेंगलुरु से बीजेपी संसद तेजस्वी सूर्या ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी करार दिया तो हरियाणा की सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा कि 'जय श्रीराम' नारे से किसी को आपत्ति होती ही क्यों है.

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संविधान प्रदत्त है अभिव्यक्ति की आजादी
तेजस्वी सूर्या का कहना है कि संविधान के तहत सदन के भीतर आप कोई बात उठा सकते हैं. किसी भी शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह स्थिति संविधान प्रदत्त है. हालांकि संसदीय नियमावली के अनुसार धार्मिक नारे संसदीय कार्यवाही में दर्ज नहीं किए जाते और उन्हें बाहर कर दिया जाता है. वैसे श्री राम के संबोधन से किसी को आपत्ति होती क्यों हैं? न दो शब्दों से किसी की भावना आहत नहीं होनी चाहिए.

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लोकतंत्र के मंदिर में यह सब ठीक नहीं
हालांकि अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा का कहना था कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है. वहां इस तरह की धार्मिक नारेबाजी की इजाजत नहीं होनी चाहिए. इसके लिए सड़क है. यह अलग बात है कि इस मसले पर सुनीता दुग्गल का कहना था कि बंगाल में जय श्रीराम कहने प. बीजेपी कार्यकर्ताओं को गुंडा कहा गया. यह बात समझ से परे है कि अपने आराध्य का नाम लेना और उसका इस्तेमाल करना किस तरह से गुंडागर्दी हो गया.