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सरकार ने राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास कराने के लिए बनाया ये प्लान

लोकसभा में तीन तलाक बिल 2019 पास हो चुका है और अब सरकार इसे संसद के उच्च सदन में पास कराने की हर मुमकिन कोशिश में लगी हुई है.

Updated on: 28 Jul 2019, 06:36 AM

नई दिल्ली:

लोकसभा में तीन तलाक बिल 2019 पास हो चुका है और अब सरकार इसे संसद के उच्च सदन में पास कराने की हर मुमकिन कोशिश में लगी हुई है. केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इस बार तीन तलाक बिल राज्यसभा में भी पास हो जाएगा. इसके लिए सरकार ने उच्च सदन में जरूरी संख्या बल का जुगाड़ कर लिया है.

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इस बार राज्यसभा में सरकार को तीन तलाक बिल पर बीजेडी का साथ मिलता दिखाई दे रहा है. वहीं, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस वोटिंग के दौरान वॉकआउट करने पर सहमत हो गए हैं. हाल ही में राज्यसभा के संख्या बल पर नजर दौड़ाए तो वो काफी कम रही है. ऐसे में अगर सपा और राजद के कुछ सदस्य आगे भी अनुपस्थित रहते हैं तो इसका सीधा फायदा सरकार को मिल सकता है.

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सरकार के सूत्रों के मुताबिक, तीन तलाक बिल सोमवार को उच्च सदन में पेश किया जाएगा. सरकार की ओर से दावा किया गया है कि तीन तलाक बिल पर सरकार के पास 117 सांसदों का समर्थन मौजूद है. खबर है कि सरकार की राह आसान करने के लिए सोमवार को राज्यसभा से जदयू, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस के 14 और सपा-राजद के कम से कम तीन सदस्य वोटिंग के दौरान वाकआउट करेंगे.

राज्यसभा में ये रहेगा नजारा

राज्यसभा में इस समय 240 सदस्यत हैं. ऐसे में अगर सरकार को किसी बिल को पास करने के लिए उसे 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए. सरकार के दावे के अनुसार, उसके पास राज्यसभा में 117 सदस्यों का समर्थन मौजूद है. अभी तक की खबर के मुताबिक, अगर जदयू, टीआरएस, वाईएसआर के 14 और राजद-सपा के तीन सदस्य वोटिंग में हिस्सा नहीं लेते हैं तो सदन की शक्ति 223 रह जाएगी. इस लिहाज से बिल पास कराने के लिए 223 में से केवल 112 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी, जबकि सरकार के पास 117 सदसयों का समर्थन होगा.

RTI बिल से जगी आस

सरकार ने तीन तलाक बिल पर अपनी रणनीति आरटीआई संशोधन बिल को देखते हुए बनाई है. गौरतलब है कि इस बिल के समर्थन में 117 तो विरोध में महज 74 मत पड़े थे. जिस समय ये बिल राज्यसभा में रखा गया था उस वक्त 49 सदस्य या तो अनुपस्थित थे या वोटिंग में हिस्सा नहीं ले रहे थे.