नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2019 में भारी बहुमत के साथ बीजेपी देश की सियासत पर काबिज हो गई है. वहीं इस चुनाव के बाद एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) के मुतबाकि इस बार के लोकसभा चुनाव के में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए है. स्टडी में ये भी बताया गया है कि इस चुनाव के दौरान एक वोट पर औसतन 700 रुपये खर्च किए गए. लोकसभा क्षेत्र की नजर से देखें तो हर लोकसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. बता दें कि चुनाव आयोग से मान्यता प्राप्त खर्च की वैध सीमा मात्र 10 से 12 हजार करोड़ रुपये थी.
रिपोर्ट के मुताबिक 12 से 15 हजार करोड़ रुपये मतदाताओं पर खर्च किए गए, 20 से 25 हजार करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च हुए, 5 हजार से 6 हजार करोड़ रुपये लॉजिस्टिक पर खर्च हुए. 10 से 12 हजार करोड़ रुपये औपचारिक खर्च था, जबकि 3 से 6 हजार करोड़ रुपये अन्य मदों पर खर्च हुए. इस कीमत को जोड़ने पर 55 से 60 हजार का आंकड़ा आता है.
सीएमएस ने इस रिपोर्ट को चुनाव खर्च: 2019 के चुनाव नाम से जारी किया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1998 से लेकर 2019 के बीच लगभग 20 साल की अवधि में चुनाव खर्च में 6 से 7 गुना की बढ़ोतरी हुई. 1998 में चुनाव खर्च करीब 9 हजार करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 55 से 60 हजार करोड़ रुपये हो गया है.
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सीएमएस की रिसर्च में पता चला है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 30 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे जो इस बार बढ़कर दोगुना हो गया. इस तरह से भारत का 2019 का लोकसभा चुनाव अबतक का सबसे महंगा चुनाव हो गया है. सीएमस ने दावा किया है कि यह अब तक दुनिया का सबसे महंगा चुनाव है.
गौरतलब है कि पहले फेज के साथ 11 अप्रैल से शुरू हुआ चुनाव 19 मई तक चला था. इस बार के लोकसभा चुनाव सात चरणों में संपन्न कराए गए थे. वहीं इस रिपोर्ट को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर दिल्ली में जारी किया गया. इस दौरान देश के पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी भी मौजूद रहे.
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