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गौरी लंकेश के पहले भी आवाज उठाने वाले पत्रकारों को किया गया है खामोश

वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरू के राजाराजेश्वरी नगर स्थित उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। पिछले कुछ सालों में भारत में कई पत्रकारों की हत्या आवाज उठाने या खुलासा करने के कारण हुई है।

Updated on: 06 Sep 2017, 05:21 PM

नई दिल्ली:

वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरू के राजाराजेश्वरी नगर स्थित उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक लंकेश को नजदीक से तीन गोलियां मारी गई है। उन्होंने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया। वह एक साप्ताहिक कन्नड पत्रिका 'लंकेश पत्रिका" पब्लिश करती थी।' पत्रकार होने साथ ही वह एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थी।

राजदेव रंजन (फाइल फोटो)
राजदेव रंजन (फाइल फोटो)

पिछले साल 13 मई 2016 को बिहार के सीवान जिले में हिन्दुस्तान अखबार के पत्रकार राजदेव रंजन की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह घटना उनके ऑफिस से लौटने के दौरान ही हुई थी। अब तक मामले में किसी को दोषी नहीं बनाया गया है, हालांकि मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

इंद्रदेव यादव (फाइल फोटो)
इंद्रदेव यादव (फाइल फोटो)

राजदेव रंजन की हत्या के ठीक पहले ही झारखंड में ताजा टीवी के पत्रकार अखिलेश प्रताप उर्फ इंद्रदेव यादव की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इंद्रदेव स्थानीय समाचार चैनल ताजा टीवी के चतरा जिले में संवाददाता थे। 24 घंटे के अंदर बिहार और झारखंड में दो पत्रकारों की हत्या ने सबको चौंका दिया था।

अक्षय सिंह (फाइल फोटो)
अक्षय सिंह (फाइल फोटो)

मई 2015 में मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले की रिपोर्ट कवर करने गए आज तक चैनल के संवाददाता अक्षय सिंह की मौत संदिग्ध परिस्थियों में हो गई थी। इस मौत के कारणों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। आपको बता दें कि इस व्यापम स्कैम में अब तक 50 से ज्यादा मौतें हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई जांच की रिपोर्ट सामने नहीं आ पाई हैं।

संदीप कोठारी (फाइल फोटो)
संदीप कोठारी (फाइल फोटो)

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में 19 जून 2015 को अगवा किए पत्रकार संदीप कोठारी को जिंदा जला दिया गया था। उनका शव महाराष्ट्र के वर्धा जिले में रेलवे लाइन के पास बरामद किया गया था। संदीप कोठारी ने बालाघाट में कई मैगनीज माफिया गिरोह के खिलाफ खबरों का खुलासा किया था, जो समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी।

रामचंद्र छत्रपति (फाइल फोटो)
रामचंद्र छत्रपति (फाइल फोटो)

हाल ही में बलात्कार मामले में 20 साल की सजा पाने वाले गुरमीत राम रहीम के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की सिरसा में हत्या कर दी गई थी। 21 नवंबर 2002 को छत्रपति के दफ्तर में घुसकर कुछ लोगों ने गोली दाग दी थी। रामचंद्र छत्रपति ने राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा के कई कारनामों के पोल खोलकर सामने लाए थे, जिसे वे अपने अखबार 'पूरा सच' में प्रकाशित किया था।

जगेंद्र सिंह (फाइल फोटो)
जगेंद्र सिंह (फाइल फोटो)

साल 2015 में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जला दिया गया था। गजेंद्र 15 साल से पत्रकारिता कर रहे थे, आरोप लगा कि उन्होंने फेसबुक पर उत्तर प्रदेश के पिछड़ा कल्याण मंत्री राममूर्ति वर्मा के खिलाफ कई खबरें लिखी थी। इसी से नाराज हहोकर मंत्री ने जगेंद्र के खिलाफ लूट, अपहरण और हत्या की कोशिश का मुकदमा भी दर्ज करा दिया था।