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JNU में लगे 'कश्मीर की आजादी' से जुड़े पोस्टर, प्रशासन ने हटवाया

जेएनयू में 'कश्मीर की आजादी' लिखा पोस्टर लगाया गया। इसकी शिकायत मिलने के बाद जेएनयू प्रशासन ने पोस्टर हटा दिये।

Updated on: 03 Mar 2017, 01:08 PM

highlights

  • जेएनयू में DSU ने लगाये 'कश्मीर की आजादी' लिखे पोस्टर
  • यूनिवर्सिटी प्रशासन ने शिकायत के बाद पोस्टर हटाये
  • पिछले साल भी लगे थे 'कश्मीर की आजादी' के नारे

नई दिल्ली:

दिल्ली यूनिवर्सिटी में जेएनयू छात्र उमर खालिद के कार्यक्रम को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म भी नहीं हुआ था कि अब जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) विवादों में आ गया है। जेएनयू में 'कश्मीर की आजादी' (फ्रीडम फॉर कश्मीर) लिखा पोस्टर लगाया गया। इसकी शिकायत मिलने के बाद जेएनयू प्रशासन ने पोस्टर हटा दिये।

विवादित पोस्टर स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (एसएसएस) के नये खंड की दीवार पर लगाये गये थे। जिसे कुछ छात्रों ने देखा और इसकी शिकायत यूनिवर्सिटी प्रशासन से की। वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि पोस्टर को लेकर जेएनयू प्रशासन से कोई शिकायत नहीं मिली है, शिकायत मिलने के बाद ही वे कार्रवाई करेंगे।

यह पोस्टर अल्ट्रा लेफ्ट छात्र संगठन DSU (डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन) ने इस पोस्टर को लगाया था। एबीवीपी छात्र ललित पांडे का कहना है ये पोस्टर तीन-चार महीने पहले का है।

'आजादी' को लेकर पिछले साल भी चर्चा में रहा था जेएनयू

पिछले साल भी जेएनयू कश्मीर की आजादी जैसे नारों के कारण विवादों में रहा था। 2016 में जेएनयू में विवादों की शुरुआत उस समय शुरू हुई, जब नौ फरवरी को जेएनयू के छात्रों ने वर्ष 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

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प्रदर्शन के दौरान कश्मीर की आजादी और भारत विरोधी नारे लगाते कुछ छात्रों का वीडियो हर चैनल पर दिखाया जाने लगा। यह बात भी सामने आई कि एक चैनल ने डॉक्टर्ड वीडियो चलाया, जिसका मकसद यह साबित करना था कि जेएनयू में देशभक्तों का नहीं, देश विरोधियों का बोलबाला है।

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देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया और पूरा देश अपने-अपने ढंग से गुस्सा निकालने लगा। घटना के कुछ दिनों बाद दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया।

कन्हैया के साथ दो और छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी गिरफ्तार कर लिया गया। जेएनयू विवाद यहीं नहीं थमा। बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने भी जेएनयू के मामले में जरूरत से अधिक दिलचस्पी दिखाई। देश का यह सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान वामपंथी और दक्षिणपंथी छात्रों की लड़ाई का अखाड़ा बन गया।

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