चारा घोटाले में लालू यादव की मुश्किलें बढ़ी, देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में भी चलेगा आपराधिक साजिश का मुकदमा
चारा घोटाला मामले को लेकर लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका मिला है। कोर्ट ने सीबीआई की अपील मंजूर कर ली है।
highlights
- चारा घोटाला मामले को लेकर लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका मिला है
- कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए लालू के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है
नई दिल्ली:
चारा घोटाले में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं.. देवघर कोषागार से अवैध तरीके से पैसा निकालने के मामले में अब उन पर आपराधिक साजिश की धारा समेत अन्य गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा।
सुप्रीमकोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को मंजूर कर लिया हैं। हाईकोर्ट ने 14 नवंबर 2014 को लालू प्रसाद के खिलाफ कई धाराओं के आरोप रद्द कर दिए थे।
हाईकोर्ट ने कहा था कि चूंकि लालू के खिलाफ इन्हीं धाराओं में चाईबासा में मुकदमा चल चुका है इसलिए दोबारा उन्हीं धाराओं में उन पर मुकदमा नहीं चल सकता।
कोर्ट ने इसी आधार पर लालू के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 477, 477ए और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)(सी)(डी) और 13(2) के आरोप निरस्त कर दिये थे। हाईकोर्ट ने सिर्फ आइपीसी की धारा 201 व 511 मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। सीबीआइ ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है।
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सीबीआई की याचिका
सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि चारा घोटाले से जुड़े इन दोनों मामलों का वक्त अलग अलग हैं... इसके अलावा दोनों मामलो में अलग अलग कोषागार से पैसा निकाला गया है।
सीबीआई के मुताबिक जहाँ चाईबासा कोषागार से 37.30 करोड़ रुपए निकाले गए थे। जबकि वही 1991-94 के बीच देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपये निकाले गए थे लिहाजा दोनों मामले अलग अलग हैं।
सीबीआई ने इसी आधार पर दोनों मामलों को अलग अलग बताते हुए झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। वही लालू प्रसाद की ओर से वकील रामजेठमलानी ने सीबीआई की दलीलों का विरोध किया था।
रामजेठमलानी के मुताबिक चारा घोटाले के तहत इन्हीं धाराओं में उन पर चायबासा कोषागार से पैसा निकालने के मामले में मुकदमा चल चुका है इसलिए अब दोबारा उसी अपराध में मुकदमा नहीं चल सकता।
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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की आलोचना की
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को नौ महीने के अंदर ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि सीबीआई की अर्जी को मंजूर कर लिया, लेकिन अपने फैसले में सीबीआई की इसलिए आलोचना भी की।
कोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करन में देरी की। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि लालू के खिलाफ गम्भीर धाराओं को हटाने का आदेश कानून के मुताबिक ठीक नही हैं।
चारा घोटाले के एक दूसरे मामले में लालू को हो चुकी हैं सजा
इससे पहले साल 2013 में चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी को लेकर निचली अदालत ने लालू प्रसाद को दोषी ठहराते हुए 5 साल की जेल की सज़ा सुनाई थीं।
इस फैसले के खिलाफ लालू यादव की अपील झारखंड हाईकोर्ट में लंबित हैं, और लालू प्रसाद फिलहाल जमानत पर हैैं लेकिन इस मामले में सजा होने के कारण वे चुनाव लडने के लिए अयोग्य हो गए हैं और इसी अयोग्यता के चलते वो पिछला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाए थे
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