कालेधन पर सरकार की बड़ी कामयाबी, स्विस बैंक में भारतीयों का पैसा 80 फीसदी घटा: पीयूष गोयल
मॉनसून सत्र के शून्यकाल में चल रही बहस के दौरान वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया है कि स्विस बैंक में जमा भारतीयों के पैसों में 34.50 फीसदी की कमी आई है।
नई दिल्ली:
मॉनसून सत्र के शून्यकाल में चल रही बहस के दौरान वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया है कि स्विस बैंक में जमा भारतीयों के पैसों में 34.50 फीसदी की कमी आई है।
केंद्र सरकार की ओर से स्विस बैंक में जमा भारतीयों के पैसे पर नया आंकड़ा जारी करते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में कहा कि स्विस बैंक के मुताबिक भारतीयों के लोन और डिपॉजिट में पिछले साल की तुलना में 34.5 फीसदी कमी आई है।
पीयूष गोयल ने कहा कि स्विस सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 2013 से लेकर 2017 तक स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 80 फीसदी घटा है।
गौरतलब है कि हाल ही में स्विस बैंक की ओर से जारी रिपोर्ट (जिसके अनुसार स्विस बैंकों में भारतीयों का धन 50 फीसदी बढ़ा) के आधार पर इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के सांसद राम कुमार कश्यर ने राज्यसभा में सवाल पूछा।
उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि काले धन पर ठोस कार्रवाई के दावों के बावजूद स्विस बैंकों में भारतीयों की ओर से जमा रकम कैसे बढ़ गई।
सवाल के जवाब में सरकार की ओर से बोलते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने इस सिरे से खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि स्विस बैंक ने इस संबंध में जवाब भेजा है जिसमें कहा गया है कि बैंक द्वारा जारी आंकड़े की व्याख्या ठीक से नहीं की गई। इस वजह से भ्रम की स्थिति पैदा हुई।
पीयूष गोयल ने कहा कि स्विस बैंक ने बैंक फॉर इंटरनैशनल सेटलमेंट के साथ मिलकर डेटा तैयार किया है।
उन्होंने बताया कि स्विस बैंकों में पिछले साल की तुलना में भारतीयों के सारे लोन व डिपॉजिट में 34.5 फीसदी की कमी आई है।
इसके बाद आईएनएलडी सांसद ने सरकार से दोबारा सवाल किया कि 50 फीसदी जमा रकम बढ़ने की खबर पर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेलटी ने ब्लॉग लिख कहा था कि स्विस बैंक में जमा सारा पैसा कालाधन नहीं है। इस पर हमें यह बताया जाए कि मौजूदा समय में कितना कालाधन है।
इस पर पीयूष गोयल ने कहा कि पिछली यूपीए सरकार के दौरान 2011 में स्विस बैंक से एक संधि की थी जिसके अनुसार बैक को भारत के साथ जानकारियां साझा करनी थीं।
गोयल ने दावा किया कि उस दौरान कई अहम जानकारियां स्विस बैंक की ओर से मुहैया नहीं कराई गई।
उन्होंने बताया कि 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से स्विस बैंक से करीब 4000 से अधिक जानकारियां मांगी गईं हैं जिनके आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
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