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2 हजार के नोट होंगे बंद इस सवाल पर वित्त राज्यमंत्री ने दिया ये जवाब

वित्त राज्य मंत्री ठाकुर ने नोटबंदी के फैसले के प्रभाव से जुड़े एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सरकार ने आठ नवंबर 2016 को पांच कारणों से 1000 और 500 रुपये के नोट के वैध मुद्रास्वरूप को समाप्त करने का निर्णय लिया था.

Updated on: 10 Dec 2019, 07:53 PM

highlights

  • 2 दिसंबर, 2019 को चलन में कुल नोट बढ़कर 22,35,648 करोड़ रुपये पर पहुंचे
  • अनुराग ठाकुर ने 2000 नोटों को बंद करने से जुड़ी खबरों को खारिज किया
  • विश्वंभर प्रसाद निषाद ने कहा था कि 2,000 रुपये के नोट चलन में आने से काले धन का संग्रह बढ़ा

संसद:

सरकार ने मंगलवार को उन अटकलों को खारिज कर दिया कि 2,000 रुपए के नोट बंद होने जा रहे हैं. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान ऐसी अटकलों को खारिज करते हुए कहा, ‘असली भावना अब बाहर आयी है. जो चिन्ता व्यक्त की गयी, मुझे लगता है कि आप ऐसी चिन्ता नहीं करिए.’ इससे पहले समाजवादी पार्टी के विशंभर प्रसाद निषाद ने कहा कि 2,000 रुपये का नोट चलाए जाने से काला धन बढ़ा है.

उन्होंने सवाल किया कि देश के लोगों में भ्रम है कि क्या 2,000 रुपये के नोट बन्द होने जा रहे हैं और उसकी जगह 1,000 रुपये के नोट चालू किए जा रहे हैं. प्रश्नकाल में ही विभिन्न पूरक सवालों के जवाब में ठाकुर ने नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी फैसला करार देते हुए कहा कि इससे न सिर्फ मुद्रा की मात्रा बढ़ी है बल्कि जाली मुद्रा पर भी रोक लगी है. साथ ही डिजिटल भुगतान में इजाफे से नोटों के परिचालन को कम करने में सफलता मिली है.

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वित्त राज्य मंत्री ठाकुर ने नोटबंदी के फैसले के प्रभाव से जुड़े एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सरकार ने आठ नवंबर 2016 को पांच कारणों से 1000 और 500 रुपये के नोट के वैध मुद्रास्वरूप को समाप्त करने का निर्णय लिया था. ठाकुर ने कहा कि कालेधन को खत्म करने, जाली नोट की समस्या से निपटने, आतंकवाद के वित्तपोषण की जड़ पर प्रहार करने, गैर औपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करने और भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिये डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह फैसला किया गया था. इस फैसले से अर्थव्यवस्था में नोटों की कमी आने से जुड़े पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि चार नवंबर 2016 को 17741.87 अरब रुपये के नोट प्रचलन में थे, इसकी मात्रा दो दिसंबर 2019 को बढ़कर 22356.48 अरब रुपये हो गयी.

ठाकुर ने कहा कि नोटबंदी और इसके बाद डिजिटलीकरण तथा अनौपारिक अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रयोग की कमी से 3046.05 अरब रुपये के नोटों के परिचालन को कम करने में सफलता मिली है. नोटबंदी के बाद जाली नोटों में कमी आने के बारे में उन्होंने बताया कि आरबीआई ने सूचित किया है कि बैंकिंग प्रणाली में 2016-17 के दौरान 7.62 लाख नोट, 2017-18 में 5.22 लाख और 2018-19 में 3.17 लाख जाली नोटों की पहचान की गयी थी.

अत: नोटबंदी के बाद जाली मुद्रा पर रोक लगी है. आतंकवाद के खिलाफ नोटबंदी के सकारात्मक प्रभाव के बारे में ठाकुर ने बताया कि 1000 और 500 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के बाद आतंकवादियों के पास पड़ी अधिकतर नकदी बेकार हो गयी. ठाकुर ने कालेधन के खिलाफ अभियान में मिली कामयाबी का जिक्र करते हुये कहा कि नवंबर 2016 से मार्च 2017 के दौरान आयकर विभाग की 900 टीमों ने तलाशी और जब्ती की कार्रवाई कर 636 करोड़ रुपये की नकदी और 7961 करोड़ रुपये की अघोषित आय की स्वीकृति सहित 900 करोड़ रुपये की जब्ती की.

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नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में मूडीज रेटिंग के मुताबिक गिरावट आने के पूरक प्रश्न के उत्तर में ठाकुर ने कहा कि मूडीज ने 2016 के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग कम नहीं की है. साथ ही नोटबंदी के बाद आयकर दाताओं की संख्या 6.14 करोड़ से बढ़कर 8.14 करोड़ हो गयी है. इसके अतिरिक्त डिजिटल भुगतान से लेनदेन की मात्रा 51 प्रतिशत वृद्धि के साथ 2017-18 में 2071 करोड़ बढ़कर 2018-19 में 3134 करोड़ हो गयी है.