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राष्ट्रीय स्तर पर किसानों का कर्ज माफ हो, न्यूनतम आय गारंटी सुनिश्चित की जाए: कांग्रेस

चव्हाण ने कहा कि, यह सरकार हमेशा लक्ष्य बदल रही है. कभी 2022 की बात करती है तो कभी 2024 की बात करती है. वादे पूरे नहीं करने के कारण वह लोगों को भ्रमित करती है.

Updated on: 29 Jan 2020, 09:48 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार इस बार के बजट में राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की कर्ज माफी तथा उपभोग बढ़ाने के मकसद से न्यूनतम आय योजना की घोषणा करनी चाहिए. पार्टी के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने यह दावा भी किया कि किसानों की आय को दोगुना करने की सरकार की घोषणा एक चुनावी जुमला है और 2022 तक इसके पूरा होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘यह सरकार हमेशा लक्ष्य बदल रही है. कभी 2022 की बात करती है तो कभी 2024 की बात करती है. वादे पूरे नहीं करने के कारण वह लोगों को भ्रमित करती है. प्रधानमंत्री और उनके साथी ऐसा करते रहते हैं.’

चव्हाण ने कहा, ‘सरकार की ओर से 2022 में किसान की आमदनी दोगुना करने की बात की गई थी. इस घोषणा को चार साल हो चुके हैं. अब जनता जानना चाहती है कि किसान की आमदनी कितनी बढ़ी है. अब सरकार बताए कि क्या वह अब भी यह कहती है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना हो जाएगी.’ उन्होंने दावा किया, हकीकत यह है कि यह घोषणा चुनावी जुमला थी और दूर दूर तक ऐसे आसार नहीं हैं कि 2022 तक यह पूरा हो.’ चव्हाण ने कहा, ‘एक तरफ किसानों की आत्महत्या है, कृषि व्यवस्था की विकास दर कम हो रही है, इसके चलते एक राष्ट्रीय कृषि ऋण माफी योजना का ऐलान किया जाए जैसे 2008 में संप्रग सरकार ने की थी.’

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कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनाव में ‘न्याय’ योजना के वादे का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार को देश में उपभोग को बढ़ाने के लिए न्यूनतम आय सुनिश्चित करने के लिए योजना लानी चाहिए. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, सरकार की ओर से कृषि में बड़े निवेश की बात की गई थी. 2019 के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने 10 हजार कृषि उत्पादक संगठन बनाने की बात कही थी. हम आशा करते हैं कि इस बार वह बताएंगी कि कितने संगठन बने हैं. उन्होंने कहा, लागत पर 50 फीसदी न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा किया गया था. कई तिलहन उपजों पर अब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य ही नहीं मिला है.

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 चव्हाण ने कहा, हमारी मांग है कि कृषि को लेकर जीएसटी की दर कम की जाए. कृषि उपकरणों पर जीएसटी दर को पांच फीसदी तक किया जाए. कृषि उत्पादों पर भी जीएसटी कम किया जाए.’ उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों को छिपाया जा रहा है और अगर आंकड़े बताए जाते हैं तो वह तोड़-मरोड़कर बताए जाते हैं.