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जाकिर नाईक केस : ईडी ने PMLA के तहत 16.40 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की

केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया कि जब्त की गई कुल अचल संपत्ति 16.40 करोड़ रुपये की है. जाकिर नाईक मामले में ईडी द्वारा तीसरी बार संपत्तियों को जब्त किया गया है.

Updated on: 19 Jan 2019, 08:08 PM

नई दिल्ली:

विवादित इस्लामिक धर्म उपदेशक जाकिर नाईक के खिलाफ धनशोधन मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उसकी 16.40 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त किया है. शनिवार को ईडी ने एक बयान में कहा, 'धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुंबई और पुणे में नाईक की संपत्ति को जब्त करने का आदेश जारी किया गया था.' केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया कि जब्त की गई कुल अचल संपत्ति 16.40 करोड़ रुपये की है. इस मामले में ईडी द्वारा तीसरी बार संपत्तियों को जब्त किया गया है.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जाकिर नाईक के खिलाफ ईडी जांच कर रही हैं. इस मामले में ईडी के द्वारा अब तक जब्त की गई कुल संपत्तियों का मूल्य 50.49 करोड़ रुपये है.

ईडी ने मुंबई में फातिमा हाईट्स और आफिया हाईट्स, भांडुप इलाके में एक गुमनाम प्रोजेक्ट और पुणे में एनग्रेसिया नाम के प्रोजेक्ट की पहचान की थी. एजेंसी ने कहा कि इसका खुलासा ईडी द्वारा स्थापित मनी ट्रेल से किया गया.

ईडी ने कहा, 'फंड के ओरिजिन और प्रॉपर्टी के वास्तविक मालिकाने को छिपाने के लिए, पहले नाईक के अकाउंट से किया गया पेमेंट रिफंड किया गया और फिर उसे उसकी पत्नी, बेटे और भतीजे के खाते में भेजा गया और नाईक के बदले परिवार के सदस्यों के नामों को दर्ज कराने के उद्देश्य से दोबारा तरीका बदला गया था.'

गैर-कानूनी गतिविध रोकथाम कानून (UAPA) के तहत एनआईए द्वारा केस दर्ज करने के बाद ईडी ने नाईक और अन्य के खिलाफ दिसंबर 2016 में केस दर्ज किया था. एनआईए ने अक्टूबर 2017 में जाकिर नाईक और अन्य के खिलाफ मुंबई की एक अदालत में चार्जशीट भी दाखिल की थी.

एनआईए की चार्जशीट के आधार पर ईडी ने कहा, 'नाईक ने जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से हिंदुओं, ईसाईयों और वहाबी मुसलमानों खासकर शिया, सूफी और बरेलिवियों को उनके धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन करने के ईरादे से अपमान किया था.'

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ईडी ने कहा कि ऐसे गतिविधियों के लिए आरोपी (नाईक) को उनके संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के साथ-साथ अन्य गुमनाम स्रोतों से फंड मिल रही थी. ईडी ने कहा कि मलेशिया में मौजूद नाईक के खिलाफ जांच जारी रहेगी.

क्या है नाईक के खिलाफ पूरा मामला

भारत सरकार ने जाकिर नाईक और उसके संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को 5 साल के लिए प्रतिबंधित किया है और इसे गैरकानूनी संगठन घोषित किया है. नाईक पर अपने भड़काऊ भाषण के जरिए नफरत फैलाने, समुदायों में दुश्मनी को बढ़ावा देने और आतंकवाद का वित्तपोषण करने का आरोप है. जाकिर नाईक वर्तमान में मलेशिया का स्थायी निवासी है.

जाकिर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के मामले में एनआईए जांच कर रही है. नाईक ने जुलाई 2016 में तब भारत छोड़ा था जब बांग्लादेश में मौजूद आतंकियों ने दावा किया था कि वे जाकिर के भाषणों से प्रेरित हो रहे हैं.

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एनआईए ने मुंबई ब्रांच में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत जाकिर के खिलाफ 18 नवंबर, 2016 को केस दर्ज किया था. नाइक के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज है.

जाकिर पर IRF की धारा 10 UA (P) और IPC की 120B, 153A, 295A, 298 और 505(2) धाराएं लगाई गईं हैं. जांच में यह पाया गया था कि जाकिर नाइक अपने भाषणों से विभिन्न समुदायों के बीच नफरत पैदा कर रहा था.