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अरविंद केजरीवाल की मुफ्त मेट्रो सेवा प्रस्ताव पर 'मेट्रो मैन' खफा, लिख दी पीएम मोदी को चिट्ठी

'मेट्रो मैन' के नाम से विख्यात ई श्रीधरन ने ही दिल्ली के सीएम की समझ पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए मुफ्त यात्राओं पर केंद्र सरकार को ही चिट्ठी लिख इस प्रस्ताव को नहीं मानने का आग्रह किया है.

Updated on: 14 Jun 2019, 05:29 PM

highlights

  • 'मेट्रो मैन' ईश्रीधरन ने पीएम से दिल्ली के सीएम का प्रस्ताव नहीं मानने को कहा.
  • चेतावनी दी कि इस कदम से दिल्ली मेट्रो अक्षम और कंगाल हो जाएगी.
  • सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार सीधे खातों में पैसा ट्रांसफर कर सकती है.

नई दिल्ली.:

जैसी आशंका थी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की दिल्ली मेट्रो और डीटीसी बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा के प्रस्ताव पर अंगुलियां उठने लगी हैं. पहले तो विभिन्न राजनीतिक दलों ने ही इसे चुनावी स्टंट करार दिया और कहा कि इतने पैसों में पानी की किल्लत से जूझ रहे दिल्ली के कुछ इलाकों में पेयजल आपूर्ति सुचारू की जा सकती है. इस कड़ी में अब 'मेट्रो मैन' के नाम से विख्यात ई श्रीधरन ने ही दिल्ली के सीएम की समझ पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए मुफ्त यात्राओं पर केंद्र सरकार को ही चिट्ठी लिख इस प्रस्ताव को नहीं मानने का आग्रह किया है.

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मेट्रो किराये में नहीं है किसी तरह की छूट का प्रावधान
बताते हैं कि 10 जून को दिल्ली मेट्रो के पहले प्रबंध निदेशक और 'मेट्रो मैन' के नाम से मशहूर ई. श्रीधरन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में श्रीधरन ने पीएम मोदी से कहा है, 'दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर सहमत न हों. जब मेट्रो शुरू हुई थी तब यह निर्णय लिया गया था कि किसी को भी यात्रा के लिए मेट्रो में किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाएगी. इस फैसले का स्वागत खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था और उन्होंने खुद टिकट लेकर दिसंबर 2002 में शाहदरा से कश्मीरी गेट तक पहली यात्रा की थी. दिल्ली मेट्रो केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार का संयुक्त उपक्रम है. कोई एक हिस्सेदार किसी एक हिस्से को रियायत देने का एकतरफा निर्णय नहीं ले सकता है'.

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इस तरह दिल्ली मेट्रो हो जाएगी कंगाल
यही नहीं, ई. श्रीधरन ने पत्र में लिखा है, 'मेट्रो का अपना स्टाफ यहां तक कि प्रबंध निदेशक भी जब यात्रा करते हैं तो टिकट खरीदते हैं. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की योजना को लागू करने में 1000 करोड़ रुपये सालाना का खर्चा आएगा. यह खर्च साल दर साल बढ़ता ही जाएगा, क्योंकि मेट्रो बढ़ेगी और किराए बढ़ेंगे. समाज के एक हिस्से को रियायत दी जाएगी, तो बाद में दूसरे इससे भी रियायत देने की मांग करेंगे जैसे कि छात्र, विकलांग, वरिष्ठ नागरिक आदि. जो कि इस रियायत के ज़्यादा हकदार हैं. यह बीमारी देश की दूसरी मेट्रो में भी फैलती जाएगी. इस कदम से दिल्ली मेट्रो अक्षम और कंगाल हो जाएगी. अगर दिल्ली सरकार महिला यात्रियों की मदद करना ही चाहती है तो उनके खातों में सीधा पैसा डाल दे.'