डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने के मसौदा विधयेक में कई खामी, मंत्रालय ने समीक्षा को कहा
अंतर मंत्रालय चर्चा के दौरान पाया गया कि आम नियम है कि गैर जमानती अपराध की श्रेणी में तीन साल या इससे अधिक सजा का प्रावधान है जबकि प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत आने वाले अपराधों को संज्ञेय और गैर जमानती बनाया गया है
दिल्ली:
केंद्रीय गृह मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय ने चिकित्सा पेशवरों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से तैयार मसौदा विधेयक में अस्पष्टता और खामियों को रेखांकित करते हुए इसकी समीक्षा करने को कहा है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. स्वास्थ्य मंत्रालय संसद के इसी सत्र में स्वास्थ्य सेवा पेशेवर और नैदानिक अधिष्ठान (हिंसा एवं सपंत्ति नुकसान निषेध) विधेयक-2019 को पेश करना चाहता है. इसमें ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों पर हमला करने वाले को 10 साल तक कारावास का प्रावधान किया गया है.
अंतर मंत्रालय चर्चा के दौरान पाया गया कि आम नियम है कि गैर जमानती अपराध की श्रेणी में तीन साल या इससे अधिक सजा का प्रावधान है जबकि प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत आने वाले अपराधों को संज्ञेय और गैर जमानती बनाया गया है लेकिन धारा 5(1) के तहत अपराध में न्यूनतम छह महीने की सजा का प्रावधान किया गया है. मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक की धारा 5(1) के तहत अपराध जमानती अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए. प्रस्तावित मसौदा कानून की धारा-5 में अपराध और सजा का उल्लेख किया गया है.
यह भी पढ़ेंः आज ही इन आदतों से कर लें तौबा, कैंसर (Cancer) रहेगा दूर
इसके मुताबिक चिकित्सा सेवा कर्मियों पर हमला करने या हिंसा के लिए भड़काने या अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या इसके लिए उकसाने पर कम से कम छह महीने की सजा का प्रावधान है और इसे बढ़ाकर पांच साल तक किया जा सकता है. इसमें न्यूनतम 50,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है जिसे बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जा सकता है. गृह मंत्रालय ने इंगित किया कि प्रस्तावित विधेयक में जांच अधिकारी उपाधीक्षक (डीएसपी) स्तर के पुलिस अधिकारी से नीचे नहीं होने की बात कही गई है.
यह भी पढ़ेंः 11 Point में समझें महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
इस पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि जिलों में डीएसपी या इससे ऊपर स्तर के अधिकारियों की कमी है. विधि मंत्रालय ने सुझाव दिया कि प्रस्तावित मसौदा विधेयक की धारा (5) में सजा की कई श्रेणी बनाई गई है जो छह से 10 साल के बीच है और इससे इस धारा के तहत दर्ज मामलों की अदालतों में सुनवाई के दौरान परेशानी आएगी. इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि इस कानून के तहत अपराधों को विशेष अदालतों में सुनवाई योग्य बनाया जाए.
यह भी पढ़ेंः महाराष्ट्र की सियासत में 'ढाई' का फेर, बीजेपी- शिवसेना में पड़ी दरार तो एनसीपी ने कर दी देर
विधि मंत्रालय ने यह भी रेखांकित किया कि विधेयक में मामले की जांच और आरोप पत्र दाखिल करने की समय सीमा स्पष्ट नहीं है. इसलिए समयबद्ध जांच और 60 दिनों में आरोपपत्र दाखिल करने का प्रावधान शामिल किया जाना चाहिए. मंत्रालय ने कहा, ‘‘समयसीमा के अभाव में मामला दर्ज होने के बावजूद आरोप पत्र दाखिल होने में देरी होगी और इससे कानून लाने का उद्देश्य पूरा नहीं होगा.’’ विधि मंत्रालय ने कहा कि इसी प्रकार प्रस्तावित कानून की धारा 9(1)(i) में संपत्ति को हुए नुकसान का मुआवजा बाजार कीमत के आधार पर तय करने की बात कही गई है जो अस्पष्ट है और बहस के दौरान भ्रम पैदा होगा. इसलिए स्पष्ट एवं निश्चित मुआवजा प्रक्रिया का उल्लेख किया जाना चाहिए या अदालत पर इस मुद्दे को छोड़ देना चाहिए.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Ayush Sharma Trolling: 'मुझे जानवर जैसा समझा...'ट्रोलर्स के कमेंट्स पर रो पड़े आयुष शर्मा, कह दी इतनी बड़ी बात
-
Thalapathy Vijay Inured: घायल हुए साउथ एक्टर थलापति विजय, फैंस ने स्पॉट किए चोट के निशान
-
Arijit Singh Birthday: इंडियन आइडल में रिजेक्शन से सलमान खान संग झगड़े तक, ऐसी रही अरिजीत सिंह की जर्नी
धर्म-कर्म
-
Budh Grah Margi 2024: सावधान!! आज शाम ग्रहों के राजकुमार बदल रहे हैं अपनी चाल, इन राशियों के लिए हैं खतरनाक
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Dharma According To Ramayana: रामायण के अनुसार धर्म क्या है? जानें इसकी खासियत