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IRCTC घोटाला क्या है? लालू यादव, तेजस्वी और राबड़ी के गले की बन गया फांस

IRCTC टेंडर घोटाला मामले में आज दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट आरजेडी प्रमुख लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव को जमानत दे दी।

Updated on: 31 Aug 2018, 12:51 PM

नई दिल्ली:

IRCTC टेंडर घोटाला मामले में आज दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट आरजेडी प्रमुख लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव को जमानत दे दी। कोर्ट ने दोनों को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को जमानत दे दी।

आईआरसीटीसी मामले में कोर्ट ने लालू प्रसाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव समेत अन्य आरोपियों को 31 अगस्त को अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा था।

पेशी को लेकर एक सवाल के जवाब में तेजस्वी ने कहा था, 'न्यायिक प्रक्रिया है, पूरा तो करना ही होगा।' मामला 2006 में रांची और पुरी में दो आईआरसीटीसी होटलों के अनुबंधों के आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। अब जब तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी को कोर्ट से जमानत मिल गई है तो हम यहां आपको बता रहे हैं कि आखिर यह आईआरसीटीसी घोटाला है क्यों और कैसे यह लालू परिवार के गले की फांस बन गया है।

क्या है पूरा मामला

रांची और पुरी में होटल के विकास, प्रबंधन और ऑपरेशन का ठेका निजी कंपनी को दिए जाने के मामले में हुई कथित अनियमितता को लेकर जांच एजेंसी सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। सीबीआई ने 2006 में रांची और पुरी के होटलों के टेंडर दिए जाने के मामले में हुई कथित अनियमितता को लेकर तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। यह टेंडर निजी सुजाता होटल्स को दिए गए थे।

इसके अलावा सीबीआई ने सरला गुप्ता (आरजेडी सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी), विजय कोचर और विनय कोचर के अलावा आईआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पी के गोयल के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी।

इस मामले में पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने लालू यादव और तेजस्वी यादव से बीते साल पांच और छह अक्टूबर को कई घंटे तक पूछताछ की थी।

इस मामले में सीबीआई के अलावा केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) 27 जुलाई को सीबीआई के एफआईआर के आधार पर धनशोधन अधिनियम के तहत इस मामले में अलग से मामला दर्ज किया था और नकली कंपनी के जरिये धन के लेन-देन मामले में जांच शुरू की थी।

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लालू परिवार पर टेंडर में हेरा-फेरी कर पैसे लेने का आरोप

इस कथित घोटाले को लेकर सीबीआई ने साफ किया था कि यह ठेका विजय और विनय कोचर के स्वामित्व वाले सुजाता होटल्स को दिया गया था। इसके एवज में इन लोगों ने पटना में मुख्य जगह पर घूस के रूप में कथित तौर पर तीन एकड़ वाणिज्यिक जमीन अप्रत्यक्ष रूप से दी थी। दोनों के नाम सीबीआई एफआईआर में दर्ज हैं।

सीबीआई ने शुरुआती जांच में पाया कि यह जमीन कोचर बंधुओं ने डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को बेची थी और इसका भुगतान अहलुवालिया कांट्रेक्टर और इसके प्रमोटर बिक्रमजीत सिंह अहलुवालिया ने किया। ईडी इस संबंध में अहलुवालिया से पूछताछ कर चुकी है।

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बाद में डिलाइट मार्केटिंग ने यह जमीन राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को दे दी। लालू यादव के करीबी सहयोगी व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता डिलाइट मार्केटिंग की निदेशक हैं और आईआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पी.के गोयल के साथ इस मामले में सहआरोपी हैं।

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कैसे हुआ कथित तौर पर यह आईआरसीटीसी घोटाला

रेल मंत्रालय ने नवंबर 2006 में चार टेंडर मंगाए थे, जो होटलों के रिडिवेलपमेंट, उसको चलाने और उसके रख-रखाव से जुड़ा था। सभी टेंडर के लिए आखिरी बोली एक दिसबंर 2006 तक मंगाई जानी थी।

1. पहला टेंडर रांची के होटल से जुड़ा था और इसके लिए दो कंपनियों ने बोली लगाई थी। पहली कंपनी सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड थी जबकि दूसरी कंपनी दीनानाथ होटल्स थी।
पटना की कंपनी सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को यह ठेका मिला। कंपनी ने इसके लिए 15.45 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।

2. दूसरे टेंडर के लिए सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड ने बोली लगाई थी। बाद में एक और कंपनी होटल केसरी ने भी इसके लिए बोली लगाई। लेकिन यह कॉन्ट्रैक्ट भी सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के हाथ लगा। कंपनी को यह ठेका 9.96 करोड़ रुपये में मिला।

3. तीसरा टेंडर हावड़ा के यात्री निवास से जुड़ा था। इसके लिए तीन कंपनियों, अंबिका एंपायर (चेन्नई), बेनफिश हावड़ा और होटल मेघालय (विशाखापत्तनम) ने बोली लगाई थी।
यह कॉन्ट्रैक्ट होटल मेघालय (विशाखापत्तनम) के हाथ लगा। कंपनी को यह कॉन्ट्रैक्ट 6.06 करोड़ रुपये में मिला।

4.चौथा टेंडर नई दिल्ली के रेल यात्री निवास से जुड़ा था। इसके लिए टाटा ग्रुप की इंडियन होटल्स कंपनी ने बोली लगाई थी। हालांकि बाद में एक और कंपनी शेरवानी इंडस्ट्रियल सिंडीकेट लिमिटेड ने बोली लगाई।

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बतौर रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव के कार्यकाल में 2006 में इन टेंडरों को जारी किया। मामला सुजाता होटल्स को दिए गए कॉन्ट्रैक्ट में कथित अनियमितता से जुड़ा हुआ है। पटना की इस कंपनी को रांची और पुरी के बीएनआर होटल्स के डिवेलपमेंट, मेंटनेंस और ऑपरेशन का कॉन्ट्रैक्ट मिला था।