दिल्ली हिंसा: 'न देखते ही गोली मारने के आदेश दिए, न कहीं कर्फ्यू लगा'
दिल्ली पुलिस प्रवक्ता मंदीप सिंह रंधावा ने बताया था कि अब तक कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. पकड़े जाने वाले लोगों की संख्या चूंकि धीरे-धीरे लगातार बढ़ रही है.
नई दिल्ली:
दिल्ली (Delhi) में फिलहाल अभी तक न ही तो मौके पर देखते ही गोली मारने के लिखित आदेश हमने जारी किए हैं और न ही कहीं किसी इलाके में कर्फ्यू लगाया गया है. हां, अगर जरुरत पड़ी तो हम इनमें से कोई भी कदम उठाने से नहीं चूकेंगे. बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा (Violence) पर यह बात पूर्वी परिक्षेत्र (रेंज) के संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने कही. उन्होंने कहा कि फिर भी अगर उपद्रव फैलाने वाले षड्यंत्रकारी अगर यह खुद ही सोचते-समझने लगे हैं कि पुलिस उन्हें काबू करने के लिए गोली मारने तक से लेकर कर्फ्यू लगाने तक का कदम उठाने में नहीं हिचकिचायेगी तो बहुत अच्छा है. वे खुद ही संभल सुधर जाएं.
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उल्लेखनीय है कि रविवार को शुरू हुई हिंसा ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, कर्दमपुरी, ब्रह्मपुरी, गोकुलपुरी, भजनपुरा, मौजपुर, बाबरपुर के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की सीमा पर मौजूद दिल्ली के सीमापुरी इलाके में गगन सिनेमा के आसपास, करावल नगर, दयालपुर इत्यादि इलाकों को सोमवार तक अपनी चपेट में ले लिया था. इस हिंसा में दिल्ली पुलिस के हवलदार रतन लाल सहित बुधवार दोपहर करीब 12 बजे तक 19 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी थी. जबकि शाहदरा जिले के डीसीपी अमित शर्मा (2010 बैच अग्मूटी कैडर आईपीएस) और युवा आईपीएस व गोकुलपुरी सब-डिवीजन के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अनुज सहित 57 से ज्यादा पुलिसकर्मी गंभीर और मामूली रुप से जख्मी हो चुके हैं.
हिंसाग्रस्त इन इलाकों में करीब 150 अन्य लोग भी जख्मी हुए हैं. पुलिसकर्मियों का पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज इलाके में स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. जबकि अन्य घायलों को दिल्ली के गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल सहित अन्य तमाम सरकारी अस्पतालों में दाखिल कराया गया है. मंगलवार शाम दिल्ली पुलिस मुख्यालय में आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली पुलिस प्रवक्ता मंदीप सिंह रंधावा ने बताया था कि अब तक कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. पकड़े जाने वाले लोगों की संख्या चूंकि धीरे-धीरे लगातार बढ़ रही है. लिहाजा सटीक आंकड़ा अभी उपलब्ध नहीं है. मंगलवार शाम पांच बजे तक अलग-अलग थानों में 11 एफआईआर दर्ज की गई है.
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दयालपुर थाने में तैनात सहायक पुलिस उप-निरीक्षक स्तर के एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को आईएएनस को बताया, 'सोमवार को दोपहर बाद दयालपुर थाना क्षेत्र में उपद्रवियों के बीच फंसकर जिंदगी गंवाने वाले हवलदार (एसीपी गोकुलपुरी के रीडर) रतन लाल की मौत के मामले में मंगलवार को ही दयालपुर थाने में हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है. मामले की तफ्तीश की जा रही है. अभी तक हमलावरों का पता नहीं चल सका है. मौके पर लगे कुछ सीसीटीवी की तलाश जारी है. सीसीटीवी रतन लाल के असली हत्यारों तक पहुंचाने में पुलिस के लिए बेहद मददगार साबित होंगे.'
हालांकि अब से कुछ देर पहले आईएएनएस से हुई खास बातचीत में पूर्वी दिल्ली परिक्षेत्र के संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार ने भी पुष्टि में कहा, 'हां, हवलदार रतन लाल की हत्या के मामले में धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है. जांच दयालपुर थाना पुलिस कर रही है.' खबर लिखे जाने तक जिले में हालात तनावपूर्ण हैं. कहीं से मगर किसी घटना की खबर नहीं है. अर्धसैनिक बल और दिल्ली पुलिस की टुकड़ियां इलाके के चप्पे-चप्पे में लगातार फ्लैग मार्च कर रही हैं. पुलिस और उसका खुफिया तंत्र खासकर अफवाह फैलाने वालों को अब दबोचने के अभियान में जुटा है. पुलिस ने हिंसा की आग मंगलवार रात से कुछ ठंडी होने के बाद से इलाके को लोगों के बीच अपनी 'एंट्री' शुरू कर दी है, ताकि उपद्रवियों द्वारा अगर अभी भी कहीं हिंसा फैलाने का षडयंत्र रचा जा रहा हो तो उसे वक्त रहते नेस्तनाबूद किया जा सके.
हिंसा ग्रस्त कुछ इलाकों में मंगलवार को आधी रात के वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल के पहुंचने के बाद पुलिस ने हिंसा फैलाने वालों से निपटने की रणनीति और बेहतर की है. शायद इसी का नतीजा रहा होगा कि, एनएसए डोवाल की इलाके से वापसी (मंगलवार आधी रात से) के बाद से बुधवार दोपहर करीब 12 बजे खबर लिखे जाने तक उत्तर पूर्वी जिले के तमाम हिंसा ग्रस्त इलाकों में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है.
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