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इंटरनेशल ज्यूडिशियल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन में बोले PM मोदी, ये दशक भारत में बड़े बदलाव का

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली में इंटरनेशल ज्यूडिशियल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकार की है. महात्मा गांधी न्याय व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी मिसाल हैं.

Updated on: 22 Feb 2020, 11:45 AM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली में इंटरनेशल ज्यूडिशियल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकार की है. महात्मा गांधी न्याय व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी मिसाल हैं. उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा कि खुद बैरिस्टर होते हुए भी जब उन्हें पहला केस मिला तो उन्होंने किस तरह न्याय दिलाने का प्रयास किया. इस मौके पर चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा कि भारत कई सम्भयताओं का मेल्टिंग पॉइंट रहा है. 2000 साल से भी पुराना हमारा जुडिशियल सिस्टम रहा है. उन्होंने याद दिलाया कि हम अक्सर हमारी संविधान में दिए गए कर्तव्यों को भूल जाते हैं.

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सोशल मीडिया पर फैसलों की आलोचना सही नहीं
नेशनल जुडिशल कॉन्फ्रेंस में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना के बढ़ते ट्रेंड पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि जजों को फैसला लेने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए. मैं सोशल मीडिया का समर्थक हूं पर इस पर फैसला मनमाफिक न आने पर चलाया जाना अभियान दुर्भाग्यपूर्ण है. फैसलों की आलोचना करते हुए भी कुछ बातों का ख्याल ज़रूरी है. दिक्कत तब होती है, जब जनादेश में खारिज हो चुके लोग विचारों के ध्वजवाहक बन जाते है. सरकार चलाने की जिम्मेदारी सरकार पर छोड़ देनी चाहिए. निजता के अधिकार पर क़ानून मंत्री ने कहा कि इस अधिकार का मतलब करप्ट और आतंकवादियों को बचाना नहीं है. हम 1.3 अरब भारतीय है. 1.2 अरब के पास मोबाइल फोन है. 1.25 अरब के पास आधार कार्ड हैं. संविधान द्वारा दिये गए अधिकारों और कर्तव्यों में संतुलन ज़रूरी है.

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अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि संवैधानिक दायित्वों को पूरा करना सरकार की जिम्मेदारी है. गरीबी का उन्मूलन न होना भी जनता के मानवाधिकार का उल्लंघन है. जहां तक भारत का सवाल है, यहां पर ज़्यादातर लोग भाग्यवादी हैं. जब भारत आजाद हुआ तो करीब 71 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे थी, आज 21 फीसदी रह गई है. ये सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के चलते संभव हुआ है. जहां सरकार नाकामयाब हुई हो, वहां कोर्ट ने दखल दिया. सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसले हैं. सवाल ये भी उठा कि सुप्रीम कोर्ट क्यों नीतिगत मामलो में दखल दे रहा है लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि हम विकासशील देश है. सबसे निचले स्तर के व्यक्ति की भलाई हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए.