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दिल्‍ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की मांग मानी, दिया 4 हफ्ते का समय

दिल्‍ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा, केंद्र सरकार ने और समय मांगा है. सरकार का कहना है कि भड़काऊ भाषण वाली सभी स्पीच को सीज किया गया है. फैसला लेने के वक्त चाहिए.

Updated on: 27 Feb 2020, 03:24 PM

नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली हिंसा (Delhi Violence) के पीछे भड़काऊ बयानबाजी के मामले को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे दिल्‍ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने की मांग मान ली है. केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए दिल्‍ली हाई कोर्ट ने 4 हफ्ते का समय दिया है. इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही केंद्र सरकार की ओर से दलील देते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने चुनिंदा सिर्फ 3 वीडियो का हवाला दिया है, जबकि उसके अलावा भी बहुत सारे भड़काऊ भाषण वाले वीडियो हैं. मौजूदा माहौल इस बात के लिए उपयुक्त नहीं है कि हम चुनिंदा तरीके से उन्हीं तीन वीडियो (BJP नेताओ की स्पीच) को देखें. हमारे पास और भी ऑडियो और वीडियो क्लिप्स हैं.

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केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की मांग

सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से मांग की कि केंद्र सरकार को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाए. उन्‍होंने कहा- यह कोर्ट का विशेषाधिकार है कि वो केंद्र को पक्षकार बनने की इजाजत दे या नहीं. मेहता ने कहा, हम माहौल सामान्य करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. अभी के माहौल को देखते हुए कोर्ट का दखल उपयुक्‍त नहीं है.

उन्होंने कहा, वारिस पठान हो या कपिल मिश्रा, उपयुक्त समय पर उनके खिलाफ मुकदमे पर फैसला ले लिया जाएगा. तुषार मेहता ने मौजूदा हालात को लेकर हलफनामा भी कोर्ट को दिया, जिसमें माहौल सामान्य होने तक वक्त देने और उपयुक्त समय पर FIR दर्ज की बात कही गई थी.

भड़काऊ बयान देने वालों पर FIR क्‍यों नहीं: गोंजाल्विस

तुषार मेहता के बाद याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा, उनके मुवक्किल को केंद्र के पक्षकार बनने से एतराज नहीं. लेकिन गौर करने वाली बात है कि ये भड़काऊ बयान चार बड़ी राजनीतिक हस्तियों की ओर से आए हैं. इन नारों को रैलियो में उछाला गया. इनमें लोगों को मारने की बात कही गई. परसों भी एक बयान आया, इन सबसे हिंसा भड़की वरना उसजे पहले प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था. इसी बीच सरकार की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गई कि कुल 48 FIR अभी तक हिंसा, लूट से जुड़ी अलग अलग धाराओं में दर्ज हुई है.

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कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि पुलिस भड़काऊ भाषण देने वालों पर FIR दर्ज करने से क्यों बच रही है. इन भड़काऊ भाषण देने वालों का अपराध गम्भीर है. उसकी परिणति लोगों की हत्या के रूप में सामने आ रही है. इन पर तुंरत FIR दर्ज करने की ज़रूरत है, ताकि सख्त सन्देश जाए. कॉलिन ने कहा, आप आज ही तुंरत FIR दर्ज करने का आदेश दीजिए.

दिल्‍ली हाई कोर्ट ने केंद्र को 4 हफ्ते का समय दिया

इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा- केंद्र ने और वक़्त मांगा है. सरकार का कहना है कि भड़काऊ भाषण वाली सभी स्पीच को सीज किया है. केंद्र को फैसला लेने के लिए और वक्त चाहिए. साथ ही केंद्र सरकार ने खुद को पक्षकार बनाने की भी मांग की है. कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक़्त देते हुए अगली सुनवाई 13 अप्रैल को मुकर्रर की. साथ ही कोर्ट ने सरकार को पक्षकार बनने की इजाजत भी दे दी.