सोमवार को सियाचिन जाएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लेंगे हालात की जानकारी
राजनाथ सिंह वहां के वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद जवानों से मुलाकात करेंगे. साथ ही आला अफसरों से सियाचिन के रक्षा हालात और जवानों की जरूरतों की जानकारी भी करेंगे.
नई दिल्ली.:
पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) पर अब बाहरी तत्वों से देश की रक्षा की जिम्मेदारी है. इस कड़ी में रक्षा मंत्री (Defence Minister) के रूप में कार्यभार संभालने के बाद राजनाथ सिंह सोमवार को सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) जाएंगे. बतौर रक्षा मंत्री यह उनका पहला दौरा होगा. इस दौरान उनके साथ थल सेना अध्यक्ष (Army Chief General) विपिन रावत (Bipin Rawat) भी रहेंगे. राजनाथ सिंह वहां के वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद जवानों से मुलाकात करेंगे. साथ ही आला अफसरों से सियाचिन के रक्षा हालात और जवानों की जरूरतों की जानकारी भी करेंगे.
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निर्मला सीतारमण और मनोहर पर्रिकर भी जा चुके हैं
राजनाथ सिंह से पहले पूर्व केंद्रीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman), मनोहर पर्रीकर (manohar parrikar) ने भी सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर का दौरा किया था. सामरिक लिहाज (Critical Position) से सियाचिन ग्लेशियर का खासा महत्व है. हिमालय श्रंखला में मौजूद सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है. 1984 से लेकर अब तक यहां करीब 900 जवान शहीद हो चुके हैं. इनमें से ज्यादातर की शहादत हिमस्खलन और खराब मौसम के कारण हुई है.
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चीन-पाकिस्तान पर रखते हैं नजर
सियाचिन से चीन और पाकिस्तान दोनों देशों पर नजर रखी जाती है. सर्दियों के मौसम में यहां काफी हिमस्खलन (Avlanche) होते हैं. सर्दियों में यहां औसतन 1000 सेंटीमीटर बर्फ गिरती है. यहां का न्यूनतम तापमान माइनस 50 डिग्री (-140 डिग्री फॉरेनहाइट) तक हो जाता है. यहां हर रोज आर्मी की तैनाती पर सात करोड़ रुपए खर्च होते हैं. अगर एक रोटी 2 रुपए की है तो वह सियाचिन तक पहुंचते-पहुंचते 200 रुपए की हो जाती है.
सियाचिन से चीन और पाकिस्तान दोनों देशों पर नजर रखी जाती है.
हर रोज आर्मी की तैनाती पर सात करोड़ रुपए खर्च होते हैं.
सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है.
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