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PMO का राफेल डील की प्रगति देखना गलत नहीं, सोनिया का NAC बनाना था हस्तक्षेप: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण

फाइटर जेट राफेल डील में कथित घोटाले को लेकर अंग्रेजी के अखबार द हिंदू के एक रिपोर्ट को लेकर गरमाई सियासत पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू के जरिए विपक्ष को जवाब दिया है

Updated on: 09 Feb 2019, 09:01 AM

नई दिल्ली:

फाइटर जेट राफेल डील में कथित घोटाले को लेकर अंग्रेजी के अखबार द हिंदू के एक रिपोर्ट को लेकर गरमाई सियासत पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू के जरिए विपक्ष को जवाब दिया है. डील से जुड़े रक्षा मंत्रालय के एक नोट को लेकर उठ रहे सवालों को लेकर निर्मला सीतारमण ने कहा, अखबार ने जो रक्षा सचिव के 5 नोट की बात की है इस मामले में उन्होंने अपना पूर काम नहीं किया है. उन्होंने जो खुलासे रिपोर्ट में किए हैं अगर उसकी प्रकृति को आप देखेंगे ऐसा लगेंगे कि वो इस मामले में और जानकारी चाहते हैं.

रक्षा मंत्री ने अखबार पर हमला बोलते हुए कहा कि क्या यह उनकी जिम्मेदारी नहीं हो जो वो छाप रह हैं उससे पहले उसकी पूरी पड़ताल कर लें या कम से कम उस पर मंत्रालय का पक्ष जान लें. लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और उन्होंने आधा-अधूरा सच छाप दिया.

निर्मला सीतारमण ने अखबार के खुलासे को लेकर आगे कहा, अगर पीएमओ इस मुद्दे में यह देख रहा था कि डील में कितनी प्रगति हुई है? या अभी और क्या होना बाकी रहा है? डील फ्रांस में रहो रहा और बात आगे कहां तक पहुंची तो इसे हस्तक्षेप नहीं माना जा सकता है.

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यदि पीएमओ एक मामले का पीछा करते हुए कहता है कि प्रगति क्या है? यह कितनी दूर हो रहा है? क्या यहां हो रहा है? क्या यह फ्रांस में हो रहा है? क्या आप सभी आगे बढ़ रहे हैं? इसे हस्तक्षेप के रूप में नहीं माना जा सकता है.

राफेल डील पर रक्षा मंत्रालय के असंतोष नोट को लेकर रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा, उन्होंने आधी-अधूरी सच्चाई छापी है, मुझे शक है कि वो लोगों के मन में इस डील को लेकर भ्रांति पैदा करना चाहते हैं. मुझे ऐसा लगता है कि यह व्यावसायिक हितों के युद्ध के जवाब में खुद के लिए किए जा रहे काम जैसा है. उन्होंने कहा मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहती हूं कि एनएसी यानि की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद जो सोनिया गांधी के नेतृत्व में बना था वो क्या था ? वो कोई संवैधानिक संस्था नहीं थी. वो पीएमओ को रिमोट कंट्रोल से चलाने के लिए बनाया गया था. क्या वो हस्तक्षेप नहीं था?

आखिर क्‍या है उस द हिंदू के उस रिपोर्ट में 
अंग्रेज़ी अखबार 'द हिंदू' की ख़बर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय तो सौदे को लेकर बातचीत कर ही रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से 'समांतर बातचीत' में लगा था. अखबार के मुताबिक 24 नवंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय के एक नोट में कहा गया कि PMO के दखल के चलते बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की पोज़िशन कमज़ोर हुई. रक्षा मंत्रालय ने अपने नोट में तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का ध्यान खींचते हुए कहा था कि हम PMO को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है उसे समानांतर बातचीत नहीं करने को कहा जाए.

खबर छपने से विपक्ष और आक्रामक 
The Hindu की खबर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार सुबह सुबह ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधे निशाना साधा. इस रिपोर्ट को लेकर सदन में भी हंगामा हुआ. इस हंगामे पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने अखबार पर सवाल उठाते हुए कहा, "एक समाचारपत्र ने रक्षा सचिव की नोटिंग को प्रकाशित किया. अगर कोई समाचारपत्र एक नोटिंग को छापता है, तो पत्रकारिता की नैतिकता की मांग है कि तत्कालीन रक्षामंत्री का जवाब भी प्रकाशित किया जाए."