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कसाब को मारने की सुपारी नहीं ली...छोटा शकील का दावा झूठ बोल रहे हैं मारिया

मारिया ने अपनी किताब में दावा किया है अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की 'डी' कंपनी को अजमल कसाब को कस्टडी में मारने की सुपारी मिली थी. छोटा शकील ने सामने आकर मारिया के इन दावों को खारिज किया है.

Updated on: 19 Feb 2020, 01:54 PM

highlights

  • राकेश मारिया ने लिखा कसाब को कस्टडी में मारने की सुपारी दी गई थी डी कंपनी को.
  • दाउद के करीबी छोटा शकील ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में इसे झूठा करार दिया.
  • राकेश मारिया का दावा मुंबई हमलों को हिंदू आतंक का नाम देने की थी बड़ी साजिश.

मुंबई:

मुंबई पुलिस कमिश्नर रहे राकेश मारिया (Rakesh Maria) की शीघ्र प्रकाशित किताब 'लेट मी से इट नाउ' ने अभी से बवाल मचाना शुरू कर दिया है. इस किताब में मुंबई हमले (Mumbai Terror Attack) और एकमात्र जिंदा गिरफ्तार आतंकी अजमल कसाब (Ajmal Kasab) को लेकर राकेश मारिया ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं. इन्हें लेकर पहले से ही बीजेपी और कांग्रेस में ठन चुकी है. अब इस आरोप-प्रत्यारोप में अंडरवर्ल्ड की भी एंट्री हो चुकी है. मारिया ने अपनी किताब में दावा किया है अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) की 'डी' कंपनी ( D Company) को अजमल कसाब को कस्टडी में मारने की सुपारी मिली थी. इसका मकसद यही था कि बाद में कसाब को हिंदू आतंकवादी (Hindu Terror) साबित किया जा सके. इस दावे के बाद दाऊद के करीबी छोटा शकील (Chota Shakeel) ने सामने आकर मारिया के इन दावों को खारिज किया है.

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छोटा शकील ने मारिया के दावों को बताया झूठा
छोटा शकील ने राकेश मारिया की किताब 'लेट मी से इट नाउ' (Let Me Say It Now) में दाऊद इब्राहिम से जुड़े दावों को झूठा बताया है. न्यूज चैनल 'न्यूज 18' से बातचीत में छोटा शकील ने कहा कि किताब के प्रचार-प्रसार के लिए मनगढ़ंत बातें लिखी गई हैं. राकेश मारिया ने अपनी किताब को प्रमोट करने और बेचने के लिए झूठे तथ्य सामने रखे हैं. वह दाऊद इब्राहिम के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं. सच तो ये है कि डी गैंग का अजमल कसाब से कोई लेना-देना नहीं है. डी गैंग को कसाब की हत्या की कोई सुपारी नहीं मिली थी.

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मारिया कर रहे भाई के नाम का इस्तेमाल'
छोटा शकील ने कहा, 'राकेश मारिया ने अपनी किताब में कहा है कि कसाब को कस्टडी में मारने की जिम्मेदारी दाऊद इब्राहिम गैंग को दी गई थी. मारिया साहब के इस झूठ का जवाब तो मेरे पास नहीं है. अगर वह भाई के नाम का इस्तेमाल कर अपनी बुक को प्रमोट करना चाहते हैं, तो बात अलग है. वह अपने किसी बच्चे के सिर पर हाथ रखकर कसम खाकर बोलें कि ये बात सच है. अगर वह ऐसा करते हैं तो मानने वाली बात है. लेकिन, ऐसा नहीं करेंगे. वो झूठे दावों के साथ बस बुक को प्रमोट कर रहे हैं. इससे आगे मुझे कुछ नहीं कहना है.'

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'हिंदुस्तान में झूठ का सच सबको मालूम है'
जब चैनल ने पूछा कि राकेश मारिया को इस वक्त झूठ बोलने की क्या जरूरत पड़ी? क्योंकि वह तो इतने महत्वपूर्ण ओहदे पर थे. पूरा केस उन्होंने ही हैंडल किया था. कोई ऐसी चीज तो होगी जो कसाब ने बोली है, जिसके आधार पर मारिया इतनी बड़ी बात कह रहे हैं. इस पर छोटा शकील ने कहा, 'आज हिंदुस्तान में कौन झूठ नहीं बोलता है. ऊपर से लेकर नीचे तक... सबके सब झूठे हैं. झूठ का सच सबको मालूम है. आपको सब पता है. आप तो मीडिया वाले हैं. अब राकेश मारिया ने झूठ बोल दिया तो इसमें कौन सी नई बात है.'

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मारिया ने यह लिखा किताब में
मारिया ने दावा किया कि पुलिस ने पूरी कोशिश की थी कि आतंकी की डिटेल मीडिया में लीक न हो पाए. इतना ही नहीं मारिया ने यह भी दावा किया है कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम गैंग को कसाब को मारने की सुपारी भी दी गई थी. मारिया ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, 'दुश्मन (आतंकी कसाब) को जिंदा रखना मेरी पहली प्राथमिकता थी. कसाब के खिलाफ लोगों का आक्रोश और गुस्सा चरम पर था. इतना ही नहीं, मुंबई पुलिस के ऑफिसर भी आक्रोशित थे. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा आतंकी कसाब को किसी भी हाल में उसे रास्ते से हटाने की फिराक में थे क्योंकि कसाब मुंबई हमले का सबसे बड़ा और एकलौता सबूत था.'

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'हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की साजिश'
किताब में यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की भी कोशिश की थी. 10 हमलावरों को हिंदू साबित करने के लिए उनके साथ हिंदू नाम वाले फर्जी आईकार्ड भेजे गए थे. कसाब के पास भी एक ऐसा ही आईकार्ड मिला था, जिसपर उसका नाम समीर चौधरी लिखा हुआ था.

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उज्जवल निकम ने भी कही ये बात
उधर, अजमल कसाब (Ajmal Kasab) को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले सरकारी वकील उज्जवल निकम ने भी कहा कि मुंबई पुलिस की चार्जशीट में कहीं भी इसका जिक्र नहीं था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस या लश्करे तैयबा या दाऊद इब्राहिम ने अजमल कसाब को मारने की सुपारी ली थी. मुंबई हमलों के दोषी अजमल कसाब को 21 नवंबर, 2012 को पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी.