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ME TOO: प्रिया रमानी का क्रॉस एग्जामिनेशन शुरू, बोलीं- इस अभियान से महिलाओं को ताकत मिलेगी

पूर्व विदेश राज्य मंत्री एम.जे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में प्रिया रमानी का क्रॉस एग्जामिनेशन 24 अक्टूबर को भी जारी रहेगा

Updated on: 09 Sep 2019, 05:31 PM

नई दिल्ली:

पूर्व विदेश राज्य मंत्री एम.जे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में प्रिया रमानी का क्रॉस एग्जामिनेशन 24 अक्टूबर को भी जारी रहेगा. सोमवार को कोर्ट में प्रिया रमानी ने अपने बयान में कहा कि मुझे एम. जे अकबर के खिलाफ आरोप लगाकर कुछ हासिल होने वाला नहीं है. मैं लंबे समय से पत्रकारिता में हूं. इस पेशे में मेरी प्रतिष्ठा है. बंगलुरू में मैं शांतिपूर्वक पारिवारिक जीवन बिता रही हूं. लिहाज़ा मुझे व्यक्तिगत रूप से कुछ हासिल होने वाला नहीं है.

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उन्होंने कहा कि चुप रहकर मैं भी ख़ुद को टारगेट करने से बचा सकती थी, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया. किसी भी महिला के लिए ऐसे खुलासा करना आसान नहीं होता है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि मी टू (ME TOO) अभियान में किये गए खुलासे बाकी महिलाओं को ताकत देंगे और वो कार्यस्थल पर अपने अधिकारों को बेहतर समझ पाएगी.  इससे पहले पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर (Former Minister of State for External Affairs) द्वारा दिल्ली (Delhi) की राउज एवेन्यू अदालत (Rouse Avenue court) ने दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई थी.

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पत्रकार प्रिया रमानी ने मी टू कैंपेन के दौरान एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जिसके बाद अकबर ने उनपर मानहानि का मुकदमा दायर किया था. मामले के पहले गवाह के रूप में गवाही देने वाली रमानी की सुनवाई अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की अदालत ने की.दिल्ली के राउज एवेन्यू अदालत में आज सुनवाई के दौरान पत्रकार प्रिया रमानी (Journalist Priya Ramani) ने बयान दिया. पत्रकार प्रिया रमानी ने कहा कि वो 1993 में वो US से वापस आई. मुझे पता चला कि नामी संपादक एम जे अकबर एक इंटरनेशनल न्यूज़ पेपर की शुरुआत करने वाले हैं. एमजे अकबर मेरे लिए तब पत्रकारिता के 'हीरो' थे. उनके लेख पढ़ते हुए मैं बड़ी हुई थी.

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मैं एमजे अकबर से मिलीं. उन्होंने मुझे शाम 7 बजे ओबेरॉय होटल में इंटरव्यू के लिए बुलाया. मैं होटल पहुँची तो वो मुझे लॉबी में नहीं मिले. मेरे लिए ये अनपेक्षित था. रिसेप्शन पर फोन करने पर उन्होंने मुझे अपने कमरे में बुलाया. उन्होंने दबाव डाला कि मैं इंटरव्यू के लिए रूम पर जाऊं. मैं हतप्रभ थी. मैंने कॉफी शॉप या लॉबी में इंटरव्यू की उम्मीद की थी. पर 23 साल की उम्र में मैं बहुत ज़्यादा विरोध करने की स्थिति में नहीं थी.इसलिए असहज होने के बावजूद मैं इंटरवयू के लिए कमरे में चली गई.