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महाराष्ट्र घटनाक्रम में राज्यपाल और पीएम को छोड़ो राष्ट्रपति भी माकपा के निशाने पर

यहां पर इससे भी अधिक व्यथित करने वाली बात यह रही कि इस ‘स्वरचित योजना’ में तीन संवैधानिक प्राधिकारी राज्यपाल, प्रधानमंत्री और देश के राष्ट्रपति भी शामिल हो गये.’

Updated on: 28 Nov 2019, 10:33 PM

दिल्ली:

माकपा ने हाल में महाराष्ट्र में ‘तीन दिन की सरकार’ के गठन में संवैधानिक पदों पर बैठे तीन व्यक्तियों की भूमिका को ‘बेहद चिंताजनक और व्यथित’ करने वाला करार देते हुए कहा कि इन लोगों ने संवैधानिक प्रावधानों का पालन करने के बजाय भाजपा के हित साधने के लिये काम किया. माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के ताजा अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख में पार्टी ने महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार को ‘तीन दिन का अजूबा’ बताते हुए कहा, ‘23 नवंबर की रात और 24 नवंबर की सुबह जो कुछ भी हुआ, वह संविधान और लोकतांत्रिक आदर्शों पर करारा हमला था.

यहां पर इससे भी अधिक व्यथित करने वाली बात यह रही कि इस ‘स्वरचित योजना’ में तीन संवैधानिक प्राधिकारी राज्यपाल, प्रधानमंत्री और देश के राष्ट्रपति भी शामिल हो गये.’ पार्टी ने इन पर भाजपा की शह पर काम करने का आरोप लगाते हुये कहा कि इन लोगों ने संवैधानिक प्रावधानों का पालन करने के बजाय केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी के हित साधने का काम किया. माकपा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुये कहा कि उन्होंने राकांपा विधायक दल के तत्कालीन नेता अजीत पवार द्वारा विधायकों के फर्जी समर्थन पत्र के आधार पर भाजपा के देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला कर उस दल का हित साधने का प्रयास किया जिससे वह पहले ताल्लुक रखते थे.

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह शनिवार को सुबह महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर नाटकीय घटनाक्रम के दौरान पवार के समर्थन पत्र के आधार पर राज्यपाल कोश्यारी ने फडणवीस को मुख्यमंत्री और पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. लेकिन राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना के विधायकों की एकजुटता कायम रहने और मामले में उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद फडणवीस और पवार ने महज तीन दिन के कार्यकाल के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया.