विमानन की तरह स्कूल, अस्पताल भी शुल्क बढ़ाने लगें, तो क्या होगा: अदालत
अदालत ने देश में विभिन्न विमानन कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले हवाई किराए की सीमा तय करने संबंधी दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह जानना चाहा.
highlights
- दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा
- डीजीसीए के वकील ने कहा था कि वह आर्थिक नियामक नहीं है
- 7 नवंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई
नयी दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को डीजीसीए से पूछा कि क्या फार्मेसी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा क्षेत्र के संस्थान भी विमानन क्षेत्र की तरह आमजन की ‘‘मुश्किलों का फायदा उठाकर’’ अपना शुल्क बढ़ा सकते हैं? अदालत ने देश में विभिन्न विमानन कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले हवाई किराए की सीमा तय करने संबंधी दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह जानना चाहा.
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मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा, ‘‘दूसरों और मुख्य रूप से आमजन की मुश्किलों और नकारात्मक हालात का फायदा उठाकर विमानन की तरह और कौन से संस्थान व्यवहार कर रहे हैं.’’ अदालत ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के वकील से यह जानना चाहा. वकील ने दलील दी थी कि डीजीसीए के नियमों में कीमत तय करना शामिल नहीं है और वह आर्थिक नियामक नहीं है.
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अदालत ने कहा कि यदि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, फार्मेसी और मीडिया जैसे संस्थान भी इसी प्रकार करने लगें, तो क्या होगा? अदालत ने याचिकाओं के अंतिम निस्तारण के लिए मामले को सात नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया.
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