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अनुच्‍छेद 370 (Article 370) : सभी याचिकाओं पर आज से एक साथ सुनवाई करेगी संविधान पीठ

अनुच्‍छेद 370 (Article 370) : मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने इन मामलों की सुनवाई के लिए जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई में संविधान पीठ का गठन किया है. CJI रंजन गोगोई ने खुद को इस बेंच से दूर रखा है, क्‍योंकि वे नवंबर में रिटायर हो रहे हैं और अभी अयोध्‍या मामले की सुनवाई में व्‍यस्‍त हैं.

Updated on: 01 Oct 2019, 08:42 AM

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ (Constitutional Bench) आज से जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu and Kashmir) में तथाकथित पाबंदी लगाने, अनुच्‍छेद 370 (Article 370) हटाने, पत्रकारों की आवाजाही पर रोक और घाटी में बच्चों को नजरबंद रखे जाने संबंधी सभी याचिकाओं पर आज मंगलवार को एक साथ सुनवाई करने जा रहा है. पांच जजों की संविधान पीठ इन सब मामलों की एक साथ सुनवाई करेगी. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने इन मामलों की सुनवाई के लिए जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई में संविधान पीठ का गठन किया है.

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जस्‍टिस एनवी रमन्‍ना वाली संविधान पीठ में जस्टिस एसके कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी हैं. बाल अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली इनाक्षी गांगुली, मोहम्मद तारिगामी, सीताराम येचुरी, गुलाम नबी आजाद, अनुराधा भसीन, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सज्जाद लोन के नेतृत्व वाला जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और वकील एमएल शर्मा सहित कई अन्‍य लोगों ने जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 हटाने को लेकर याचिकाएं दायर की हैं. कई पूर्व नौकरशाहों और सेना के पूर्व अफसरों के अलावा नौकरशाह से नेता बने शाह फैसल और जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद ने भी याचिकाएं दायर की हैं.

एमडीएमके नेता और राज्यसभा सांसद वाइको की नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दी है. अपनी याचिका में वाइको ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को चुनौती दी थी और उन्‍हें शीर्ष अदालत में पेश करने की मांग की थी.

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जस्टिस गोगोई की पीठ ने वाइको की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अब इसमें कुछ नहीं बचा है, क्‍योंकि फारूक अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद किया गया है. हालांकि जस्टिस गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एसए नजीर की पीठ ने कहा, उचित अथॉरिटी के सामने इसे चुनौती दी जा सकती है.

जम्मू-कश्मीर के सभी अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में हाई स्पीड इंटरनेट और लैंडलाइन फोन सेवाओं की फौरन बहाली को लेकर दायर याचिका पर जस्टिस गोगोई की पीठ ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है. पीठ ने इस याचिका को भी संविधान पीठ के पास भेज दिया है.