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इंटरनेट को लेकर SC का फैसला मोदी सरकार के लिए 2020 का पहला बड़ा झटका: कांग्रेस

नुच्‍छेद 370 (Article 370) हटाने के दौरान जम्‍मू-कश्‍मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इंटरनेट के बेजा इस्तेमाल और सूचनाएं फैलाने के इंटरनेट के रोल के बीच के फर्क को हमें समझना होगा

Updated on: 10 Jan 2020, 12:51 PM

दिल्ली:

कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी से जुड़ी उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी को मोदी सरकार के लिए वर्ष 2020 का पहला बड़ा झटका करार देते हुए शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह स्मरण कराया गया है कि देश उनके सामने नहीं, संविधान के समक्ष झुकता है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार की गैरकानूनी गतिविधियों को यह कहते हुए पहला बड़ा झटका दिया कि इंटरनेट की आजादी एक मौलिक अधिकार है.' उन्होंने दावा किया, ' मोदी-शाह के लिए दोहरा झटका है कि विरोध को धारा 144 लगाकर नहीं दबाया जा सकता. उन्होंने कहा कि मोदी जी को याद दिलाया गया है कि राष्ट्र उनके सामने नहीं, संविधान के सामने झुकता है.' 

बता दें, अनुच्‍छेद 370 (Article 370) हटाने के दौरान जम्‍मू-कश्‍मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इंटरनेट के बेजा इस्तेमाल और सूचनाएं फैलाने के इंटरनेट के रोल के बीच के फर्क को हमें समझना होगा. हमारा दायित्‍व है कि नागरिकों को सभी सुरक्षा और अधिकार मिले. कोर्ट ने जम्‍मू-कश्‍मीर में लगी पाबंदियों की अगले 7 दिनों में समीक्षा करने का आदेश भी दिया. फैसला पढ़ते हुए कोर्ट ने कहा, हमारा काम था कि आजादी और सुरक्षा चिंताओ के बीच संतुलन कायम करना. कोर्ट ने यह भी कहा, हम कश्‍मीर की राजनीति में हस्‍तक्षेप नहीं करेंगे.

अनुच्‍छेद 370 (Article 370) हटाने के दौरान जम्‍मू-कश्‍मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इंटरनेट के बेजा इस्तेमाल और सूचनाएं फैलाने के इंटरनेट के रोल के बीच के फर्क को हमें समझना होगा. हमारा दायित्‍व है कि नागरिकों को सभी सुरक्षा और अधिकार मिले. कोर्ट ने जम्‍मू-कश्‍मीर में लगी पाबंदियों की अगले 7 दिनों में समीक्षा करने का आदेश भी दिया. फैसला पढ़ते हुए कोर्ट ने कहा, हमारा काम था कि आजादी और सुरक्षा चिंताओ के बीच संतुलन कायम करना. कोर्ट ने यह भी कहा, हम कश्‍मीर की राजनीति में हस्‍तक्षेप नहीं करेंगे.