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CBI निदेशक के खिलाफ कार्रवाई को लेकर विपक्ष हमलावर, 26 अक्टूबर को करेगा देशव्यापी प्रदर्शन

कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वो 26 अक्टूबर को सीबीआई निदेशक को पद से हटाए जाने के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन करेगी. इतना ही नहीं कांग्रेस के बड़े नेता सीबीआई हेडक्वार्टर्स के बाहर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन भी करेंगे.

Updated on: 25 Oct 2018, 07:23 AM

नई दिल्ली:

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने को लेकर विपक्षी दल सरकार को बख्श देने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं. जहां बुधवार को सभी विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला बोला वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस को लेकर एक कदम आगे निकल गई है. कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन करने का ऐलान किया है.

कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वो 26 अक्टूबर को सीबीआई निदेशक को पद से हटाए जाने के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन करेगी. इतना ही नहीं कांग्रेस के बड़े नेता सीबीआई हेडक्वार्टर्स के बाहर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन भी करेंगे.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह फैसला 'राफेल फोबिया' के कारण लिया गया क्योंकि वह (आलोक वर्मा) राफेल विमान सौदे से जुड़े कागजात एकत्र कर रहे थे.

कांग्रेस ने सीबीआई के निदेशक को छुट्टी पर भेजे जाने को एजेंसी की स्वतंत्रता खत्म करने की अंतिम कवायद बताया है. उधर, केन्द्र सरकार ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुये इसे ‘जरूरी’ बताया.

सरकार ने दलील दी है कि सीबीआई के संस्थागत स्वरूप को बरकरार रखने के लिये यह कार्रवाई जरूरी थी.

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा कि सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों को हटाने का सरकार का फैसला केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की सिफारिशों पर आधारित है.

उल्लेखनीय है कि विवाद के केन्द्र में आये वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति के मंगलवार देर रात जारी आदेश पर अवकाश पर भेज दिया गया.

प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली नियुक्ति समिति ने मंगलवार की रात में आदेश जारी कर एजेंसी के निदेशक का प्रभार संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सौंप दिया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे इसलिये उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेजा गया. उन्होंने कहा कि राफेल घोटाले की जांच करने से रोकने के लिए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को हटाया है.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि सरकार ने ‘राफेल-फोबिया’ से उभरने वाली जवाबदेही से बचने और अग्रणी जांच एजेंसी पर नियंत्रण करने के लिए वर्मा को हटाया है.

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कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने हैरत जाहिर करते हुए सवाल किया कि क्या वर्मा को, राफेल घोटाले में भ्रष्टाचार की जांच करने की उत्सुकता की वजह से ‘हटाया’ गया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में जवाब भी मांगा.

सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा, 'वर्मा को हटाकर मोदी सरकार ने सीबीआई की आजादी में ‘आखिरी कील’ ठोंक दी है. सुनियोजित तरीके से सीबीआई को खत्म करने और उसे बदनाम करने की कोशिश पूरी हो गई. प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई की ईमानदारी, विश्वसनीयता खत्म हो जाए.'

इस बीच अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इस मामले में केन्द्र सरकार पर जमकर हमला बोला. माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने वर्मा सहित सीबीआई के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई को देश की शीर्ष जांच एजेंसी में ‘सियासी तख्तापलट’ बताया.

उन्होंने कहा कि राफेल मामले में कथित घोटाले की सच्चाई को उजागर होने से रोकने के लिये सरकार ने न सिर्फ देर रात जांच एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों का तबादला कर दिया बल्कि सीबीआई मुख्यालय को सील भी कर दिया गया.

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सीपीआई(एम) के राज्यसभा सदस्य डी राजा ने भी सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई को तख्तापलट करार देते हुये कहा कि यह घटनाक्रम चौंकाने वाला है. इससे बतौर एक संस्था, सीबीआई पर संकट गहरा गया है. साथ ही सीबीआई की विश्वसनीता भी खत्म हो गयी है.

राजा ने कहा ‘यह सब प्रधानमंत्री की नाक के नीचे हो रहा है और इस बात की भी आशंका है कि इसका ताल्लुक राफेल खरीद मामले से भी है.’

बसपा प्रमुख मायावती ने सीबीआई में शीर्ष स्तर पर जारी घमासान को चिंताजनक बताते हुये उच्चतम न्यायालय से इस संस्था की विश्वसनीयता को बहाल करने के लिये मौजूदा विवाद पर विस्तार से संज्ञान लेने का अनुरोध किया.

मायावती ने यहां जारी बयान में कहा कि ‘सीबीआई में विभिन्न प्रकार के हस्तक्षेपों के कारण पहले भी काफी कुछ गलत एवं अनर्थ होता रहा है. अब जो कुछ उठापटक हो रही है वह देश के लिये गंभीर चिन्ता की बात बन गई है क्योंकि इससे जनता में अनेक प्रकार की भ्रान्तियां पैदा हो रही हैं.’

उन्होंने कहा कि चर्चा में आये इस विवाद के कारण लोगों का सीबीआई से भरोसा डगमगा सा गया है.

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वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में कहा, ‘सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर भेजने के पीछे की वजह क्या है? लोकपाल अधिनियम के तहत नियुक्त किए गए एक जांच एजेंसी के प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार मोदी सरकार को किस कानून के तहत मिला. मोदी क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं?'

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि सीबीआई भाजपा की जांच एजेंसी बन गई है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘सीबीआई अब तथाकथित बीबीआई (बीजेपी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) बन गयी है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.'

समाजवादी पार्टी (एसपी) ने वर्मा के खिलाफ केन्द्र सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई की निंदा करते हुये कहा है कि इससे सरकार की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गयी है.

एसपी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि सीबीआई में दो शीर्ष अधिकारियों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ की गयी भ्रष्टाचार की शिकायतों पर सरकार ने सीबीआई निदेशक के खिलाफ नियमों को ताक पर रख कर कार्रवाई की है.

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उन्होंने कहा ‘इस प्रकरण से न सिर्फ सीबीआई की विश्वसनीयता पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं बल्कि सरकार की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में आ गयी है.’

वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच जारी विवाद के मामले में मोदी सरकार द्वारा मंगलवार देर रात जांच एजेन्सी में अधिकारियों के तबादले की निंदा करते हुए इसे ग़ैरज़रूरी दख़ल बताया है.

यादव ने कहा 'सीबीआई के निदेशक को जबरन छुट्टी पर भेजने तथा संयुक्त निदेशक को अंतरिम व्यवस्था के तौर पर निदेशक का प्रभार देने के सरकार के फैसले की मैं निंदा करता हूं. देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है.'