कांग्रेस अध्यक्ष पर कभी हां-कभी ना की स्थिति, प्रदेश समितियां भंग, नेता-कार्यकर्ता असमंजस में
बुधवार को देश भर के यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता राहुल गांधी से इस्तीफा वापस लेने की गुहार लगाने दिल्ली में एकत्र होने जा रहे हैं.
highlights
- युथ कांग्रेस इस्तीफा वापसी की मांग को लेकर 26 को दिल्ली में देगी दस्तक.
- राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने पर अड़े. कहा पार्टी नहीं छोड़ रहा.
- प्रेस विज्ञप्तियों पर अब राहुल गांधी का नाम नहीं, सिर्फ एआईसीसी लिख कर आ रहा.
नई दिल्ली.:
17वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत और कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हुए हैं. उन्हें मनाने के लिए कांग्रेस के देश भर के नेता और कार्यकर्ता मान-मनुहार में जुटे हैं. इस बीच कांग्रेस ने सभी राज्यों में प्रदेश समितियां भंग कर दी हैं. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने नया कांग्रेस अध्यक्ष चुनने के लिए एक महीने का समय दिया है. यह अलग बात है कि बुधवार को देश भर के यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता राहुल गांधी से इस्तीफा वापस लेने की गुहार लगाने दिल्ली में एकत्र होने जा रहे हैं.
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अब नाम के बजाय सिर्फ एआईसीसी लिख कर आ रहा
गौरतलब है कि कांग्रेस के प्रवक्ता लगातार कह रहे हैं कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष थे, हैं और रहेंगे. यह अलग बात है कि माहौल कुछ और ही संकेत दे रहा है. अभी तक पार्टी के फैसलों में जहां राहुल गांधी का नाम दिखाई देता था, वहां अब पार्टी यानी के 'एआईसीसी' लिखा आ रहा है. राहुल ने एक महीने पहले हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस्तीफे की पेशकश कर दी थी. इसे कार्यसमिति ने ठुकरा दिया था. साथ ही इसके बाद कई प्रदेश अध्यक्षों ने इस्तीफा देने की पेशकश की थी. कई राज्य इकाइयों ने प्रस्ताव पास कर राहुल से इस्तीफा न देने की अपील की थी.
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अध्यक्ष पद छोड़ रहे पार्टी नहीं
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी अपने फैसले पर अडिग हैं. हाल ही में एक वरिष्ठ नेता ने जब उनसे कहा कि कार्यकर्ता पसोपेश की स्थिति में हैं, तो उन्होंने कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं. बस खुद की जिम्मेदारी मानते हुए वह फैसला ले रहे हैं. इस बीच नए अध्यक्ष के चयन पर अटकलों को लेकर पिछले दिनों पूछे गए सवाल पर राहुल ने कहा था कि अध्यक्ष के चयन पर पार्टी इस बाबत फैसला लेगी. जाहिर है राहुल ने इस बात पर खुद मुहर लगा दी कि कांग्रेस में नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा चल रही है. सूत्रों के मुताबिक राहुल ने पार्टी के सामने यह शर्त भी रखी है कि अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का हो.
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बढ़ रहा है असमंजस
यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि पिछले एक महीने से राहुल ने इक्का दुक्का अपवादों को छोड़ कर पार्टी नेताओं से मुलाकात नहीं कि है. हालांकि अब राहुल गांधी सभी प्रदेश के प्रभारियों से मुलाक़ात कर हार की समीक्षा कर रहे हैं. यह मेल-मुलाकात इस ओर इशारा कर रही है कि राहुल ने फिर से बतौर अध्यक्ष काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन कांग्रेस के कुछ फैसलों या बयानों को लेकर जारी की गई प्रेस विज्ञप्तियों पर राहुल गांधी का नाम नहीं था. जाहिर है पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने असमंजस की स्थिति महीने भर बाद भी जस की तस है.
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संगठन पर पड़ रहा असर
केंद्रीय नेतृत्व पर अस्पष्टता का असर संगठन पर भी पड़ रहा है. तेलंगाना में पार्टी के दर्जन भर विधायकों ने टीआरएस का दामन थाम लिया. कर्नाटक में पार्टी के वरिष्ठ नेता खुलेआम जेडीएस के साथ हुए गठबंधन को हार के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. यहां तक कि केंद्रीय नेतृत्व को राज्य इकाई भंग करनी पड़ी है. पंजाब में सिद्धू और कैप्टन की तनातनी अब जगजाहिर है. जिन तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां भी पार्टी नेताओं में तलवारे खिंची हुई हैं.
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अंदरूनी भितरघात रहा है बढ़
हाल ही में झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह के सामने ही उनके और प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने नारेबाज़ी की. हार की समीक्षा के लिए हरियाणा कांग्रेस की बैठक में ही बाकी नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. महाराष्ट्र में विधायक दल के नेता के पार्टी छोड़ने की सूरत में नया नेता चुनने में महीना भर लगा. यानी फिलहाल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के फेर में कांग्रेस में खुद उथल-पुथल का शिकार हो रही है.
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