कांग्रेस सांसदों का संसद के मार्शल्स से टकराव, सोनिया गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष को जताया विरोध
सोमवार को संसद की कार्रवाई के दौरान कांग्रेस सांसदों का मार्शल्स के साथ टकराव हो गया. इस दौरान लोकसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सदस्य नदारत रहे.
नई दिल्ली:
सोमवार को संसद की कार्रवाई के दौरान कांग्रेस सांसदों का मार्शल्स के साथ टकराव हो गया. इस दौरान लोकसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सदस्य नदारत रहे. जबकि महाराष्ट्र को लेकर कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य शामिल हुए. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से नाराजगी भी दर्ज कराई.
सोनिया गांधी महिला और दो पुरूष सांसदों के साथ लोकसभा अध्यक्ष से मिलने पहुंची. सोनिया गांधी मार्शल्स के रवैये को लेकर इतना नाराज थी कि वह ओम बिरला के सामने कुर्सी पर बैठी तक नहीं और अपनी शिकायत दर्ज कर वापस चली गई. वहीं महाराष्ट्र के सियासी घमासान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में संसद भवन में बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. इसमें कांग्रेस ने महाराष्ट्र में जल्द बहुमत परीक्षण कराने की मांग की.
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वहीं महाराष्ट्र के सियासी संग्राम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजीत पवार को एक और दिन के लिए राहत मिल गई है. वहीं दूसरी ओर, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को बड़ा झटका हाथ लगा है. इन तीनों दलों ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल फैसला सुनाने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे दरकिनार करते हुए फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया. रविवार को आपात सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार सुबह 10:30 बजे आगे की सुनवाई करने की बात कही थी. सोमवार सुबह कोर्ट के बैठने के बाद पहले राज्यपाल के सचिव की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की ओर से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा. एनसीपी नेता अजीत पवार की ओर से वकील मनिंदर सिंह ने दलीलें पेश कीं. अब मंगलवार को कोई दलीलें पेश नहीं की जाएंगी और कोर्ट के बैठने के बाद तुरंत ही फैसला आ जाने की उम्मीद है.
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सोमवार को सुनवाई शुरू होते ही राज्यपाल के सचिव की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. शिवसेना 56 सीटों के साथ दूसरे तो एनसीपी 54 सीटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी बनी. कांग्रेस को चुनाव में 44 सीटें मिली थीं. राज्यपाल कई दिन रुके. सरकार बनने तक का इंतजार किया. राज्यपाल ने पहले बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. बीजेपी ने मना कर दिया तो शिवसेना को बुलाया और फिर एनसीपी को. सभी दलों ने सरकार बनाने में असमर्थता जताई. अंत में राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लगाया गया. इस दौरान तुषार मेहता ने राज्यपाल के संवैधानिक अधिकारों का भी जिक्र किया. तुषार मेहता ने कहा, राज्यपाल को इस मामले में पार्टी नहीं बनाया जा सकता और न ही उनके विवेक पर सवाल उठाया जा सकता है.
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सुप्रीम कोर्ट में सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने अजीत पवार द्वारा एनसीपी के विधायक दल के नेता की ओर से दी गई चिट्ठी को पेश किया. पत्र में सभी विधायकों के नाम दर्ज हैं. पत्र में अजीत पवार ने लिखा है, एनसीपी के विधायक दल का नेता होने के नाते मैं समर्थन पत्र सौंप रहा हूं. विधायकों ने मुझे अधिकार दिया है कि वे समर्थन को लेकर फैसला लें. तुषार मेहता ने कहा, राज्यपाल के सामने बीजेपी ने 170 विधायकों के समर्थन का दावा किया गया था. तुषार मेहता ने कहा, राज्यपाल का काम चिट्ठी को परखना नहीं है. तुषार मेहता ने कहा, हमें और वक्त मिलना चाहिए.
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