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मुस्‍लिम लीग के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दी

जयराम रमेश की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि यह क़ानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है.

Updated on: 13 Dec 2019, 02:56 PM

नई दिल्‍ली:

कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Congress Leader Jairam Ramesh) ने शुक्रवार को नागरिकता संसोधन क़ानून (Citizenship Amendment Act 2019) की वैधता को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है. जयराम रमेश की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि यह क़ानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. इसमे पड़ोसी देश में प्रताड़ित मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता हासिल करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है. एक दिन पहले इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League) ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया है, बिल के प्रावधान संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 14 (Article 14) का उल्लंघन करते हैं. धर्म के आधार पर वर्गीकरण ग़लत है. मुस्‍लिम लीग के सूत्रों के अनुसार, उनकी पैरवी वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) करेगे.

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नागरिकता संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है. राष्‍ट्रपति द्वारा इस पर जल्‍द मुहर लगाने की उम्‍मीद है. इस बिल के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली जा चुकी है. याचिका मुस्‍लिम लीग ने डाली है.

इससे पहले बुधवार को राज्‍यसभा में बहस के दौरान कांग्रेस के दो वरिष्‍ठ नेताओं पी चिदंबरम और फिर कपिल सिब्‍बल ने भी बिल के सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने का दावा किया था. हालांकि गृह मंत्री ने इसके जवाब में कहा, कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता संसद को सुप्रीम कोर्ट का डर दिखा रहे हैं, लेकिन हम अपना काम करने से पीछे नहीं हटेंगे.

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पी. चिदंबरम ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर बहस के दौरान इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा, इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और पूरा यकीन है कि वहां इसे खारिज कर दिया जाएगा. चिदंबरम ने यह भी कहा, मैं सरकार से कानूनी विभाग की राय लेने की चुनौती देता हूं.

पी चिदंबरम ने कहा, मैं सरकार से अटॉर्नी जनरल को सवालों के जवाब देने के लिए चुनौती देता हूं. संविधान का एक हिस्सा ध्वस्त किया जा रहा है." इसके जवाब में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, सरकार हर बिल पर कानून विभाग की राय लेती है.

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पी. चिदंबरम ने कहा, मैं संसद से सरकार का विरोध करने के लिए कह रहा हूं, क्योंकि यह असंवैधानिक है. चिदंबरम ने कहा कि सांसद जनता के चुने प्रतिनिधि होते हैं और उनकी यह जिम्मेदारी है कि उन्हें उसी विधेयक को पारित करना चाहिए, जो संवैधानिक हो. कांग्रेस नेता ने कहा कि हम सभी को वास्तव में वकील होना चाहिए, ताकि हमारे अंदर वह ज्ञान और संवाद हो, ताकि हम देख सकें कि क्या संवैधानिक है और क्या नहीं.