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क्‍या कांग्रेस हिन्‍दू विरोधी है? इन 10 बातों से पार्टी पर लगते रहे हैं आरोप

कांग्रेस पर अकसर हिन्‍दू विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं. खासकर BJP और हिन्‍दूवादी संगठन कांग्रेस को इसके लिए निशाने पर लेते रहे हैं.

Updated on: 24 Nov 2018, 01:08 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस पर अकसर हिन्‍दू विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं. खासकर BJP और हिन्‍दूवादी संगठन कांग्रेस को इसके लिए निशाने पर लेते रहे हैं. खुद कांग्रेस के अंदर भी कई बार इसे लेकर आवाज उठ चुकी है और शायद इसलिए अब पार्टी के अध्‍यक्ष राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव और हालिया विधानसभा चुनावों को ध्‍यान में रखकर हिन्‍दुओं को लुभाने के लिए मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं. कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार आशीष कुलकर्णी ने 2017 में पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा था, कांग्रेस हिंदू विरोधी दल है. आशीष कुलकर्णी की बातों से विरोधियों के आरोपों में दम नजर आता है. जो बात बाहरी लोग कहते थे, आशीष कुलकर्णी ने उसकी पुष्‍टि कर दी. कुछ जानकार तो यह भी कहते हैं कि अगर कांग्रेस हिन्‍दू विरोध की राजनीति नहीं करती तो BJP का उभार ही नहीं होता. 

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इसके अलावा 2014 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की आंतरिक एके एंटनी समिति की रिपोर्ट में भी इस बात की तस्‍दीक की गई थी कि पार्टी को हिन्‍दू विरोधी छवि के कारण नुकसान पहुंचा. एंटनी समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि पार्टी को छवि बदलने की कोशिश करनी चाहिए. शायद उसी रिपोर्ट का असर है कि राहुल गांधी कभी जनेऊ में नजर आते हैं तो कभी मंदिरों में पूजा करते दिखते हैं. आइए जानते हैं वो 10 कारण जिससे कांग्रेस पर हिन्‍दू विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं.

1. 26/11 के पीछे हिंदुओं का हाथ: मुंबई हमले के बाद कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसके पीछे हिंदू संगठनों की साजिश का दावा किया था. दिग्विजय के इस बयान का पाकिस्तान ने खूब इस्तेमाल किया और आज भी जब इस हमले का जिक्र होता है तो पाकिस्तानी सरकार दिग्विजय के हवाले से यही साबित करती है कि हमले के पीछे आरएएस का हाथ है. दिग्विजय के इस बयान पर उनके खिलाफ कांग्रेस ने कभी कोई कार्रवाई या खंडन तक नहीं किया. इसके अलावा तत्‍कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पी चिदंबरम ने हिन्‍दू आतंकवाद का मुद्दा उछाला था और अमेरिकी अधिकारियों को सौंपे डोजियर में भी हिन्‍दू आतंकवाद का जिक्र किया गया था.

2. मंदिर जाने वाले करते हैं छेड़खानी: राहुल गांधी ने कहा था कि लोग लड़कियां छेड़ने के लिए मंदिर जाते हैं. यह बयान भी कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व की हिंदू विरोधी सोच की निशानी थी.

3. राम सेतु पर हलफनामा: 2007 में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि चूंकि राम, सीता, हनुमान और वाल्मीकि वगैरह काल्पनिक किरदार हैं. इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है. जब बीजेपी ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया, तब जाकर मनमोहन सरकार को पैर वापस खींचने पड़े.
हालांकि बाद के दौर में भी कांग्रेस रामसेतु को तोड़ने के पक्ष में दिखती रही.

4. हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़ा: इससे पहले हिंदू के साथ आतंकवाद शब्द कभी इस्तेमाल नहीं होता था. मालेगांव और समझौता ट्रेन धमाकों के बाद कांग्रेस सरकारों ने बहुत गहरी साजिश के तहत हिंदू संगठनों को इस धमाके में लपेटा और यह जताया कि देश में हिंदू आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है. इस केस में जिन बेगुनाहों को गिरफ्तार किया गया वो इतने सालों तक जेल में रहने के बाद बेकसूर साबित हो रहे हैं.

5. राम की तुलना इस्लामी कुरीति से: तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने इसकी तुलना भगवान राम से की. यह तय है कि कपिल सिब्बल ने यह बात अनजाने में नहीं, बल्कि बहुत सोच-समझकर कही. उनकी नीयत भगवान राम का मज़ाक उड़ाने की है. कोर्ट में ये दलील देकर कांग्रेस ने मुसलमानों को खुश करने की कोशिश थी.

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6. वंदेमातरम से थी दिक्कत: आजादी के बाद यह तय था कि वंदे मातरम राष्ट्रगान होगा, लेकिन माना जाता है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इससे मुसलमानों के दिल को ठेस पहुंचेगी. देश में तुष्‍टिकरण की राजनीति की शुरुआत तो अंग्रेजों ने ही शुरू कर दी थी, नेहरू ने उस पर विराम नहीं लगाया. नतीजा यह है कि वंदेमातरम को जगह-जगह अपमानित करने की कोशिश होती है. जहां भी इसका गायन होता है कट्टरपंथी मुसलमान बड़ी शान से बायकॉट करते हैं.

7. सोमनाथ मंदिर का विरोध: कांग्रेस ने हिंदुओं के सबसे अहम मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर को दोबारा बनाने का विरोध किया था. कांग्रेस का कहना था, सरकारी खजाने का पैसा मंदिर निर्माण में नहीं लगना चाहिए, जबकि इस समय तक हिंदू मंदिरों में दान की बड़ी रकम सरकारी खजाने में जमा होनी शुरू हो चुकी थी. जबकि उसी समय बाबरी, काशी विश्वनाथ और मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के विवादों को भी हल किया जा सकता था, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं होने दिया.

8. बीएचयू में हिंदू शब्द से ऐतराज: कांग्रेस के तत्‍कालीन बड़े नेताओं को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदू शब्द पर आपत्ति थी. इसके लिए उन्होंने महामना मदनमोहन मालवीय पर दबाव भी बनाया था. जबकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से दोनों को ही कोई एतराज नहीं था.

9. हज के लिए सब्सिडी : ये कांग्रेस सरकार ही थी जिसने हज पर जाने वाले मुसलमानों को सब्सिडी देने की शुरुआत की. दुनिया के किसी दूसरे देश में ऐसी सब्सिडी नहीं दी जाती, जबकि कांग्रेस सरकार ने अमरनाथ यात्रा पर खास तौर पर टैक्स लगाया. इसके अलावा हिंदुओं की दूसरी धार्मिक यात्राओं के लिए भी बुनियादी ढांचा कभी विकसित नहीं होने दिया गया. अब मोदी सरकार के आने के बाद उत्तराखंड के चारों धाम को जोड़ने का काम शुरू हुआ है. कांग्रेस ने मुसलमानों के तुष्‍टिकरण के लिए शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था, जबकि हिन्‍दुओं को खुश करने के लिए कांग्रेस ने कभी इस तरह के काम नहीं किए. 

10. 90% मुस्‍लिम करें मतदान : हाल ही में मध्‍य प्रदेश कांग्रेस के अध्‍यक्ष कमलनाथ का कहना था, अगर 90% मुसलमानों ने मतदान नहीं किया तो कांग्रेस का जीतना मुश्‍किल हो जाएगा. मध्‍य प्रदेश में ही कांग्रेस के वचनपत्र में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की शाखाओं को बंद करने की बात कही गई है. 

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