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कांग्रेस नागरिकता मुद्दे को समझना ही नहीं चाहती है, जेपी नड्डा ने राज्‍यसभा में किया बड़ा हमला

Citizenship Amendment Bill 2019 : जेपी नड्डा ने कहा, यह समस्या आज से नहीं है, ये समस्या उसी समय शुरू हुई जब आजादी के समय देश का विभाजन हुआ. देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ यह स्पष्ट था.

Updated on: 11 Dec 2019, 01:20 PM

नई दिल्‍ली:

राज्‍यसभा में पेश नागरिकता संशोधन विधेयक पर गृह मंत्री अमित शाह और आनंद शर्मा के बाद बीजेपी के कार्यकारी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को अपनी बात रखी. जेपी नड्डा ने कहा, देश के अंदर जो लोग लंबे समय से अन्याय के वातावरण में जी रहे थे, उनको सम्मान के साथ जीने का एक रास्ता देने का प्रयास नागरिकता संशोधन बिल के द्वारा किया गया है. आज जिस बिल की हम बात कर रहे हैं उसका आधार सिर्फ एक है कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जिन अल्पसंख्यकों की धार्मिक आधार पर प्रताड़ना हुई है और जिन्होंने भारत में शरण ली है, उन्हें नागरिकता दी जाएगी.

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जेपी नड्डा ने कहा, नागरिकता संशोधन बिल को लेकर आज जो हम बात कर रहे हैं उसका आधार सिर्फ एक है और वो है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में वो अल्पसंख्यक जो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए हैं उनको नागरिकता का अधिकार देने का काम है और यह मूल बात है.

जेपी नड्डा बोले, धर्म के आधार पर भारत का विभाजन हुआ था. भारत में मुसलमानों को बराबर का अधिकार. भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित है. पाक में अल्पसंख्यक की हत्या हुई. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक की संख्या घटी है. कांग्रेस मु्द्दे को समझना नहीं चाहती है. कांग्रेस के पास मुद्दे पर तथ्यों की कमी है.

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उन्‍होंने कहा, यह समस्या आज से नहीं है, ये समस्या उसी समय शुरू हुई जब आजादी के समय देश का विभाजन हुआ. देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ यह स्पष्ट था. इस विभाजन की त्रासदी यह थी कि दुनिया में आजतक इतना बड़ा नरसंहार कभी नहीं हुआ.

जेपी नड्डा बोले, देश के विभाजन के बाद रातों-रात लोगों को अपने घर-संपत्ति छोड़कर इधर से उधर आना-जाना पड़ा. उस समय नेहरू-लियाकत पैक्ट हुआ था, जिसमें इसकी चिंता थी कि दोनों जगह पर अल्पसंख्यकों को संरक्षण मिले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. धर्म के आधार पर विभाजन तो हुआ लेकिन पैक्ट सिर्फ कागजों में रह गया, सच्चाई में नहीं रह पाया.

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उन्‍होंने कहा, इस नरसंहार के समय उस समय के प्रधानमंत्री ये चाहते थे कि दोनों देशों में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिले, ये उनकी इच्छा थी, लेकिन इच्छा होना और सच्चाई में धरातल पर उतरने में जमीन-आसमान का अंतर होता है. इस विभाजन की जब बात करते हैं तो हम कह सकते हैं कि उस समय भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बुद्ध, पारसी थे. पाकिस्तान में उस समय हिंदू, सिख, जैन, बुद्ध, ईसाई, पारसी अल्पसंख्यक थे.