चीफ जस्टिस गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में क्लीन चिट, शिकायकर्ता ने बताया इस 'अन्याय'
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने सोमवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में उन्हें क्लीन चिट दे दी.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने सोमवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में उन्हें क्लीन चिट दे दी. तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ मामले की जांच कर रही थी. शीर्ष कोर्ट द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि आंतरिक समिति ने पाया है कि सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व कर्मचारी द्वारा 19 अप्रैल, 2019 को की गई शिकायत में कोई दम नहीं है.
आंतरिक समिति में जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस इंदिरा बनर्जी व जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. बोबडे शीर्ष कोर्ट में दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं.
समिति ने अपनी रिपोर्ट पांच मई को प्रस्तुत की थी. आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार, दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश ने यह रिपोर्ट प्राप्त की और इस रिपोर्ट की एक प्रति संबंधित न्यायाधीश यानी भारत के प्रधान न्यायाधीश को भेज दी. कोर्ट ने यह भी कहा कि आंतरिक प्रक्रिया सार्वजनिक किए जाने के लिए जवाबदेह नहीं है.
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कमेटी की रिपोर्ट को जनहित में सार्वजनिक करने की मांग की है. उन्होंने इसे घोटाला करार देते हुए एक ट्वीट किया है.
#NotInMyName
— indira jaising (@IJaising) May 6, 2019
This is a scandal
Indira Jaising v Supreme Court of India was also a case of sexual harassment by a sitting High Court of Karnataka.
It is a pre RTI case and is bad in law
Demand the disclosure of the findings of the enquiry committee in public interest https://t.co/Saw07mBPhV
वहीं शिकायतकर्ता ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसे 'अन्याय' बताया है. उन्होंने कहा है कि, 'मुझे जो डर था वही हुआ और देश के उच्चतम न्यायालय से इंसाफ़ की मेरी सभी उम्मीदें टूट गई हैं.'
उन्होंने कहा कि मैं इस समय बेहद डरी हुई हूं, क्योंकि इन हाउस कमेटी के सामने सब कुछ रखने के बाद भी मेरे साथ न्याय नहीं किया गया, मुझे सुरक्षा नहीं दी गई. उन्होंने अपने और परिवार की सुरक्षा के प्रति भी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि इन हाउस कमेटी जिस नतीजे पर पहुंची है, उसकी एक कॉपी तक मुझे नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि वे अब इस मामले में अपने वकील से बात करने के बाद अगले कदम के बारे में फैसला लेंगी.
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शीर्ष कोर्ट ने रविवार को एक बयान जारी किया था, जिसमें इस बात का खंडन किया गया था कि जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ और जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने जस्टिस बोबडे से मुलाकात की थी. बोबडे, गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की जांच समिति की अगुवाई कर रहे हैं.
यह दावा किया गया था कि चंद्रचूड़ व नरीमन ने आंतरिक समिति के सदस्यों से तीन मई की शाम मुलाकात की थी और शिकायतकर्ता की गैरमौजूदगी में जांच जारी रखने पर अपनी चिंता व्यक्त की थी.
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
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