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नागरिकता संशोधन विधेयक: 31 दिसंबर 2014 की कटऑफ क्‍यों रखी गई, बसपा ने उठाए सवाल

Citizenship Amendment BIll 2019 : बसपा की ओर से सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, यह बिल संविधान (Indian Constitution) के अनुच्‍छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करता है. साथ ही मुसलमानों को इस बिल में जगह न देना संविधान के खिलाफ है.

Updated on: 11 Dec 2019, 03:44 PM

नई दिल्‍ली:

राज्‍यसभा (Rajya Sabha) में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) पर चर्चा में भाग लेते हुए बहुजन समाज पार्टी (BSP) की ओर से सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, हम पूछना चाहते हैं कि 31 दिसंबर 2014 की कटऑफ तारीख इस बिल में क्‍यों रखी गई है. उन्‍होंने कहा, यह बिल संविधान (Indian Constitution) के अनुच्‍छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करता है. साथ ही मुसलमानों को इस बिल में जगह न देना संविधान के खिलाफ है. उन्‍होंने यह भी कहा, 'हम इस बिल के विरोध में खड़े हैं. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के बारे में गृह मंत्री ने सोचा, इसके लिए उनका आभार.

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दूसरी ओर, राष्‍ट्रीय जनता दल की ओर से बोलते हुए मनोज झा ने कहा, आज लालू यादव इस सदन में होते तो वे भी इस बिल का घोर विरोध करते. मैं उनकी कमी पूरी नहीं कर सकता, लेकिन फिर भी कहना चाहता हूं, NRC में 1600 करोड़ खर्च हो गए. अगर पूरे देश में NRC हुआ तो लाखों करोड़ खर्च हो जाएंगे. इतने रुपये में अपने देश में शिक्षा व्‍यवस्‍था कमाल की हो जाएगी. उन्‍होंने यह भी कहा, इस बिल को लेकर स्वर्ग में भी शोक सभा हो रही होगी.

मनोज झा ने कहा, जर्मनी में जब यहूदियों को निकाला गया तो उनके साथ भी मानवता के आधार पर कई देशों ने फैसले लिए थे, लेकिन इस सरकार में हमारा देश इजरायल की राह पर निकल चुका है. मनोज झा ने कहा, मुझे पता है कि आप यह बिल पास करा लेंगे, लेकिन इतिहास में 10 साल की सरकार दो लाइन में खत्म हो जाती है.

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वहीं, एनसीपी नेता प्रफुल पटेल ने कहा, हम नागरिकता संशोधन विधेयक बिल का विरोध करते है. हम किसी तरह इसका समर्थन नहीं करते हैं. उन्होंने कहा- यह बिल काफी जल्दबाजी में लाया गया है. इस बिल पर और गंभीर चर्चा होनी चाहिए थी. इस बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए था.